पाकिस्तान ने रक्षा निर्यात के क्षेत्र में अब तक की अपनी सबसे बड़ी सफलता का दावा किया है। हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान ने लीबिया की ‘लीबियन नेशनल आर्मी’ (LNA) के साथ करीब 4.6 अरब डॉलर (लगभग 38,000 करोड़ रुपये) का रक्षा समझौता किया है। इस सौदे के केंद्र में चीन और पाकिस्तान द्वारा संयुक्त रूप से विकसित JF-17 थंडर (Block-III) लड़ाकू विमान है।
क्या है पूरी डील?
पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और LNA के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ सद्दाम खलीफा हफ्तार के बीच बेनगाजी में हुई मुलाकात के बाद इस डील पर मुहर लगी है।
- JF-17 लड़ाकू विमान: डील के तहत पाकिस्तान लीबिया को 16 JF-17 फाइटर जेट की आपूर्ति करेगा।
- प्रशिक्षण विमान: इसके अलावा 12 सुपर मुशाक (Super Mushshak) ट्रेनर एयरक्राफ्ट भी इस सौदे का हिस्सा हैं।
- अन्य सैन्य उपकरण: समझौते में थल, वायु और नौसेना से जुड़े अन्य रक्षा उपकरण भी शामिल हैं, जिनकी डिलीवरी अगले ढाई साल में पूरी होगी।
अरब देशों ने क्यों ठुकराया था?
दशकों से पाकिस्तान अपने JF-17 विमानों को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और कतर जैसे अमीर अरब देशों को बेचने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, अधिकांश खाड़ी देशों ने इसे अपनाने से इनकार कर दिया था। इसके पीछे मुख्य कारण थे:
- पश्चिमी तकनीक को प्राथमिकता: अरब देश अमेरिकी F-16, F-35 या फ्रांसीसी राफेल जैसे अधिक उन्नत और युद्ध-सिद्ध विमानों को प्राथमिकता देते हैं।
- तकनीकी क्षमता पर संदेह: JF-17 को एक ‘बजट फाइटर’ माना जाता है, जिसकी इंजन क्षमता और एविओनिक्स को लेकर कई देशों ने सवाल उठाए थे।
- चीनी मूल: चीन के साथ बढ़ते सुरक्षा संबंधों के बावजूद, अरब देश अपनी रक्षा प्रणालियों को नाटो (NATO) मानकों के अनुरूप रखना चाहते हैं।
लीबिया के साथ डील के मायने और विवाद
लीबिया के साथ यह सौदा पाकिस्तान के लिए एक बड़ी राहत है, लेकिन यह विवादों से भी घिरा है।
- UN प्रतिबंध: लीबिया 2011 से संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंध के अधीन है। पाकिस्तान का यह दावा है कि इस डील से किसी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन नहीं हुआ है, लेकिन वैश्विक रक्षा विश्लेषक इस पर सवाल उठा रहे हैं।
- आर्थिक मजबूती: विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह 4.6 अरब डॉलर की डील अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा ‘बूस्टर’ साबित हो सकती है।
- लीबिया के साथ हुई यह डील पाकिस्तान के रक्षा निर्यात के लिए एक “गेम चेंजर” मानी जा रही है। अगर यह सफलतापूर्वक पूरी होती है, तो यह अन्य अफ्रीकी और एशियाई देशों के लिए भी JF-17 के दरवाजे खोल सकती है।


