भारत सरकार ने 26 दिसंबर, 2025 को घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने और ऊर्जा क्षेत्र में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इन फैसलों का मुख्य केंद्र चीन से होने वाले सस्ते आयात पर अंकुश लगाना और घरेलू कोयला खनन प्रक्रियाओं को सरल बनाना है।
घरेलू निर्माताओं को चीन से होने वाले अनुचित और सस्ते आयात (Dumping) से बचाने के लिए वित्त मंत्रालय ने कड़े कदम उठाए हैं।
- स्टील और गैस पर शुल्क: सरकार ने चीन से आयातित ‘कोल्ड-रोल्ड नॉन-ओरिएंटेड इलेक्ट्रिकल स्टील’ और ‘R-134a’ रेफ्रिजरेंट गैस पर अगले पांच वर्षों के लिए एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगा दी है।
- शुल्क की दरें: चीन की कुछ कंपनियों पर 223.82 डॉलर प्रति टन और अन्य पर 415 डॉलर प्रति टन तक का शुल्क लगाया गया है। रेफ्रिजरेंट गैस पर यह शुल्क 5,251 डॉलर प्रति टन तक है।
- अन्य देश: वियतनाम से आने वाले ‘कैल्शियम कार्बोनेट फिलर मास्टरबैच’ (प्लास्टिक उद्योग में प्रयुक्त) पर भी समान प्रतिबंध लगाए गए हैं।
- उद्देश्य: यह कदम वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई (DGTR) की सिफारिशों के बाद उठाया गया है ताकि भारतीय बाजारों में विदेशी माल को कम कीमत पर डंप करने से रोका जा सके।
2. कोयला खदान नियमों में ढील
ऊर्जा क्षेत्र में तेजी लाने और लाल फीताशाही (Red Tapism) को खत्म करने के लिए ‘कोलियरी कंट्रोल रूल्स, 2004’ के नियम 9 में ऐतिहासिक संशोधन किया गया है।
- मंजूरी की शक्ति: अब कोयला और लिग्नाइट खदानों या नई सीम (Seam) को खोलने के लिए ‘कोयला नियंत्रक संगठन’ (CCO) से पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
- बोर्ड को अधिकार: खदानों को खोलने या 180 दिनों से अधिक समय तक बंद रही खदान को फिर से शुरू करने की शक्ति अब संबंधित कोयला कंपनी के बोर्ड को सौंप दी गई है।
- प्रभाव: इससे प्रोजेक्ट्स की शुरुआत में होने वाली देरी कम होगी और घरेलू कोयला उत्पादन में तेजी आएगी, जिससे आयात पर निर्भरता कम होगी।


