भारतीय फिल्म ‘धुरंधर’ (Dhurandhar) इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। यह फिल्म पाकिस्तान के कराची स्थित खूंखार गैंगस्टर रहमान डकैत (Rehman Dakait) के जीवन और उसके परिवार पर आधारित बताई जा रही है। रहमान डकैत की तीसरी पत्नी से पैदा हुए उसके बेटे अब्दुल रहीम ने अपनी गरीबी, पिता की विरासत और भारतीय फिल्म को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। अब्दुल रहीम ने कहा कि फिल्म में उनके पिता की छवि को पूरी तरह से नहीं समझा गया।
रहमान डकैत के बेटे का भावुक खुलासा
गैंगस्टर रहमान डकैत, जिसे कराची के लियारी इलाके का ‘रॉबिन हुड’ माना जाता था, की 2009 में पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। अब उसके बेटे ने अपनी आपबीती साझा की है:
- अत्यधिक गरीबी का सामना: रहमान डकैत के बेटे रहीम ने बताया कि पिता की मौत के बाद उनका परिवार बेहद गरीबी में जी रहा है। उसके पास ढंग के कपड़े और जूते तक नहीं हैं। उसने कहा, “दुनिया को लगता है कि हमारे पास करोड़ों की दौलत होगी, लेकिन सच यह है कि हम दाने-दाने को मोहताज हैं।”
- पिता की छवि: बेटे के अनुसार, रहमान ने कभी अपने परिवार को अपने अपराधों की भनक नहीं लगने दी। वह उसे एक प्यार करने वाले पिता के रूप में याद करता है, न कि एक गैंगस्टर के रूप में।
- परवरिश के लिए संघर्ष: रहीम ने बताया कि रहमान की तीसरी पत्नी (उसकी मां) ने उनकी परवरिश के लिए बहुत संघर्ष किया है और आज भी वे एक छोटे से कमरे में रहने को मजबूर हैं।
भारतीय फिल्म ‘धुरंधर’ और विवाद
भारतीय फिल्म निर्माता इस गैंगस्टर की कहानी को पर्दे पर उतार रहे हैं। हालांकि, फिल्म को लेकर कुछ महत्वपूर्ण बिंदु सामने आए हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक व्यक्ति अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बनता है और उसे स्थानीय लोगों का मसीहा (रॉबिन हुड) भी माना जाता है।
कौन था रहमान डकैत?
रहमान डकैत पाकिस्तान के सबसे खूंखार अपराधियों में से एक था। वह पीपुल्स अमन कमेटी का प्रमुख था और कराची के राजनीति व अंडरवर्ल्ड के बीच की एक मजबूत कड़ी माना जाता था। उस पर हत्या, जबरन वसूली और मादक पदार्थों की तस्करी के दर्जनों मामले दर्ज थे।
निष्कर्ष
‘धुरंधर’ फिल्म एक ओर जहां दर्शकों को अपराध की दुनिया के काले अध्यायों से रूबरू करा रही है, वहीं दूसरी ओर इसने एक वास्तविक परिवार के संघर्ष और ‘अधिकार’ की बहस को जन्म दे दिया है। यह कहानी दिखाती है कि एक अपराधी की मौत के बाद उसका परिवार किस तरह सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार का शिकार होता है। फिल्म के ट्रेलर और विषय वस्तु को लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा है, जहाँ लोग इसे वास्तविकता और कल्पना के बीच की एक बारीक रेखा बता रहे हैं।


