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    अल्लाह की मदद’ मिली थी, ऑपरेशन सिंदूर पर आसिम मुनीर का बयान

    पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख और ‘फील्ड मार्शल’ बने आसिम मुनीर का एक चौंकाने वाला बयान सामने आया है। उन्होंने दावा किया है कि मई 2025 में भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) के दौरान पाकिस्तान को ‘अल्लाह की मदद’ मिली थी। मुनीर के इस बयान को भारतीय सैन्य कार्रवाई के खौफ और पाकिस्तान की रणनीतिक विफलता को छिपाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।

    ‘अल्लाह की मदद’ का दावा

    ​इस्लामाबाद में ‘नेशनल उलेमा कॉन्फ्रेंस’ को संबोधित करते हुए आसिम मुनीर ने कहा कि जब भारतीय सेना का दबाव चरम पर था। ​”मेरा खुदा गवाह है कि हमने अल्लाह की मदद को आते हुए देखा और महसूस किया। जब दुनिया के सारे तर्क (Worldly Logic) काम करना बंद कर चुके थे, तब उस मदद ने हमारे सैनिकों के हौसले को टूटने नहीं दिया।”

    ​मुनीर ने इस दौरान कुरान की आयतों का हवाला देते हुए इसे ‘ईमान की जीत’ बताने की कोशिश की, जबकि हकीकत में इसे पाकिस्तान की घबराहट के रूप में देखा जा रहा है।

    क्या था ‘ऑपरेशन सिंदूर’?

    ​यह सैन्य टकराव अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक बड़े आतंकी हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसमें 26 नागरिकों की जान गई थी।

    1. भारत की कार्रवाई: 7 मई 2025 की रात को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया। इसके तहत पाकिस्तान और पीओके (PoK) में स्थित आतंकी बुनियादी ढांचों पर सटीक हमले किए गए।
    1. भारी नुकसान: रिपोर्टों के अनुसार, भारत की एयर स्ट्राइक और सैन्य कार्रवाई में पाकिस्तान के कई एयर डिफेंस सिस्टम और रडार तबाह हो गए थे।
    2. युद्धविराम: चार दिनों के भीषण तनाव के बाद, 10 मई 2025 को दोनों देशों के डीजीएमओ (DGMO) के बीच बातचीत हुई और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनी।

    तालिबान को चेतावनी और ‘जिहाद’ पर रुख

    ​इसी संबोधन में मुनीर ने अफगानिस्तान के तालिबान शासन को भी सख्त चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि टीटीपी (TTP) के 70% आतंकी अफगानी नागरिक हैं। उन्होंने तालिबान से दो टूक कहा कि वे या तो पाकिस्तान को चुनें या आतंकवादियों का साथ दें। इसके अलावा, उन्होंने स्पष्ट किया कि एक इस्लामिक राष्ट्र में राज्य की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति ‘जिहाद’ का फतवा जारी नहीं कर सकता।

    ​जानकारों का मानना है कि आसिम मुनीर का यह ‘धार्मिक कार्ड’ पाकिस्तान के भीतर गिरती उनकी साख और भारतीय सेना के घातक प्रहारों से उपजे डर को छिपाने का एक जरिया है। इसे पाकिस्तान की आवाम को यह समझाने की कोशिश माना जा रहा है कि उनकी सेना की हार नहीं हुई, बल्कि वे दैवीय चमत्कार से बच गए।

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