हरियाणा की सियासत में इन दिनों विधानसभा सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच दिलचस्प जुबानी जंग देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस के भीतर ‘अविश्वास’ की स्थिति की ओर इशारा किया है।
“स्वागत से भावुक हुए हुड्डा, फिर लाए अविश्वास प्रस्ताव”
चंडीगढ़ में मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री सैनी ने कल की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि सदन की परंपरा के अनुसार उन्होंने नेता प्रतिपक्ष भूपिंदर सिंह हुड्डा का गर्मजोशी से स्वागत किया था।
- सीएम सैनी के अनुसार, हुड्डा ने उनसे कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में किसी विपक्षी नेता का ऐसा सम्मानजनक स्वागत होते पहले कभी नहीं देखा।
- मुख्यमंत्री ने हैरानी जताते हुए कहा कि जिस नेता ने दो घंटे पहले स्वागत पर भावुकता दिखाई थी, वही विपक्ष दो घंटे के भीतर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No-Confidence Motion) लेकर आ गया।
दस्तखत पर छिड़ा विवाद: “कांग्रेस को हुड्डा पर भरोसा नहीं?”
मुख्यमंत्री ने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस को लेकर एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने नोटिस को ध्यान से पढ़ा, तो वह दंग रह गए। “जब मैंने अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देखा, तो उस पर नेता प्रतिपक्ष (भूपिंदर सिंह हुड्डा) के हस्ताक्षर ही नहीं थे। यह बेहद अजीब है। या तो हुड्डा जी अभी भी खुद को विपक्ष का हिस्सा नहीं मानते, या फिर कांग्रेस पार्टी को ही अपने नेता प्रतिपक्ष पर भरोसा नहीं है कि उनसे साइन करवाया जाए।”
राजनीतिक मायने
सीएम सैनी के इस बयान ने कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी की चर्चाओं को हवा दे दी है। मुख्यमंत्री ने तंज कसते हुए कहा कि जो विपक्ष खुद अपने नेता के हस्ताक्षर लेने में ‘कतरा’ रहा है, वह सरकार के खिलाफ अविश्वास कैसे पैदा कर सकता है। उन्होंने इसे कांग्रेस का ‘भ्रम’ करार दिया और कहा कि सरकार को जनता और सदन दोनों का पूर्ण समर्थन प्राप्त है।वहीं, हुड्डा खेमे की ओर से अभी इस पर स्पष्टीकरण आना बाकी है कि क्या यह कोई तकनीकी चूक थी या सोची-समझी रणनीति।


