संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ‘विकसित भारत- गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ यानी ‘वीबी- जी राम जी’ बिल को लेकर भारतीय राजनीति में उबाल आ गया है। लोकसभा के बाद गुरुवार-शुक्रवार की आधी रात को यह बिल राज्यसभा से भी ध्वनिमत से पारित हो गया। इस बिल के पारित होने के तुरंत बाद, विपक्षी दलों ने संसद के संविधान सदन (पुरानी संसद) के बाहर डेरा डाल दिया और 12 घंटे के ‘ओवरनाइट’ धरने पर बैठ गए।
विरोध का मुख्य कारण: मनरेगा से गांधी जी का नाम हटना
विपक्ष के आक्रोश की सबसे बड़ी वजह यह है कि यह नया कानून 20 साल पुराने मनरेगा (MGNREGA) की जगह लेगा।
- नाम में बदलाव: विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटा दिया है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं ने इसे बापू का अपमान और ‘लोकतंत्र की हत्या’ करार दिया है।
- राज्यों पर आर्थिक बोझ: नए बिल के तहत फंडिंग का अनुपात बदल दिया गया है। अब केंद्र 60% और राज्यों को 40% खर्च वहन करना होगा। विपक्ष का कहना है कि इससे राज्यों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा।
- काम रोकने का प्रावधान: बिल में प्रावधान है कि खेती के पीक सीजन (बुवाई और कटाई) के दौरान इस योजना को 60 दिनों के लिए रोका जा सकता है। विपक्ष के अनुसार, इससे उन गरीब मजदूरों का हक छिनेगा जिन्हें उस समय रोजगार की सख्त जरूरत होती है।
सरकार का पक्ष
केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिल का बचाव करते हुए कहा कि मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने और ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए यह बदलाव जरूरी थे। “बापू हमारे आदर्श हैं, लेकिन हम केवल मजदूरी बांटने के बजाय स्थायी संपत्ति (Permanent Assets) बनाना चाहते हैं। नए बिल में रोजगार की गारंटी 100 दिन से बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है।”
संसद में अभूतपूर्व दृश्य
विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा और राज्यसभा दोनों में भारी हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने बिल की प्रतियां फाड़ीं और उन्हें स्पीकर की चेयर की ओर फेंका। सदन से वॉकआउट करने के बाद, विपक्षी गठबंधन के नेताओं ने कड़कड़ाती ठंड में संविधान सदन की सीढ़ियों पर पूरी रात प्रदर्शन जारी रखा।


