संसद में पेश होने वाले ‘विकसित भारत – रोजगार एवं आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण) विधेयक 2025’ (VB-G RAM G) पर राजनीतिक घमासान शुरू हो गया है। कांग्रेस ने इस बिल को MGNREGA के मूल अधिकार को कमज़ोर करने वाला बताया है, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने इसका मजबूती से बचाव किया है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस बिल पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह विधेयक “हर तरह से गलत” है। उन्होंने कहा कि उन्हें नाम बदलने की सनक समझ नहीं आती, जिसमें बेवजह बहुत खर्चा होता है।
- उन्होंने आरोप लगाया कि MGNREGA ने गरीब लोगों को 100 दिन के रोज़गार का अधिकार दिया था, लेकिन यह बिल उस अधिकार को कमज़ोर करेगा।
- गांधी ने कहा कि सरकार ने दिनों की संख्या (125 दिन) तो बढ़ा दी है, लेकिन मज़दूरी नहीं बढ़ाई है। उन्होंने फंडिंग पैटर्न पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि पहले केंद्र 90% फंड देता था, लेकिन अब यह सिर्फ 40% हो जाएगा, जिससे राज्य पर बोझ बढ़ेगा।
- उन्होंने आरोप लगाया कि यह बिल ग्राम पंचायत के अधिकारों को छीन रहा है, क्योंकि अब केंद्र सरकार तय करेगी कि फंड कहां और कब देना है, जबकि पहले ग्राम पंचायत यह तय करती थी। उन्होंने इसे सत्ता का केंद्रीकरण बताया।
मनीष तिवारी: UPA की सफल योजना खत्म करने की कोशिश
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस योजना को तोड़ने-मरोड़ने का आरोप लगाया।
- उन्होंने MGNREGA को UPA सरकार की सबसे सफल योजना बताया, जिसने COVID-19 के दौरान लाखों लोगों को सुरक्षा दी।
- उन्होंने नामकरण पर कटाक्ष करते हुए कहा, “जब नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को गोली मारी, तो उनके मुंह से सिर्फ ‘हे राम’ शब्द निकले, और यह अजीब बात है कि इस देश में आप महात्मा गांधी को भगवान राम से अलग कर रहे हैं।”
- तिवारी ने कहा कि यह योजना, जो पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा फंडेड थी, उसे तोड़-मरोड़कर इसका बोझ राज्यों पर डाल रहे हैं, जिससे यह योजना खत्म हो जाएगी।
सतीश चंद्र दुबे: विरासत को जिंदा रखने की बात
केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता सतीश चंद्र दुबे ने इस विधेयक का बचाव किया। उन्होंने कहा कि किसी भी बिल पर बहस होना सामान्य है। उन्होंने VB-G RAM G नाम का समर्थन करते हुए कहा, “अगर हम अपनी विरासत को जिंदा रखना चाहते हैं, चर्चा में रखना चाहते हैं तो इसमें क्या खराब है।”


