भारतीय सिनेमा के ‘शोमैन’ के नाम से मशहूर, राज कपूर न केवल एक महान अभिनेता थे, बल्कि एक दूरदर्शी निर्देशक और निर्माता भी थे, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। आज, उनकी 101वीं जयंती पर, उनकी जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं और उनके बेमिसाल सफर को याद किया जा रहा है।
चार्ली चैपलिन से मिली ‘आवारा’ की प्रेरणा
राज कपूर का सबसे प्रतिष्ठित और सफल किरदार ‘आवारा’ (1951) में ‘राजू’ का था। इस किरदार की कल्पना के पीछे हॉलीवुड के महान कॉमेडियन चार्ली चैपलिन की गहरी छाप थी।
- ‘द ट्रैम्प’ की झलक: चैपलिन ने अपने किरदार ‘द ट्रैम्प’ (The Tramp) के माध्यम से आम आदमी के दुख और संघर्ष को हास्य के साथ दर्शाया था।
- राजू का चरित्र: राज कपूर ने इस विचार को अपनाया और ‘राजू’ नामक एक मासूम, आवारा और संघर्षशील व्यक्ति का चरित्र गढ़ा, जो व्यवस्था का शिकार था। ‘आवारा हूँ’ गाना आज भी इस किरदार की अमरता का प्रतीक है।
- आरके स्टूडियो का लोगो: राज कपूर ने चैपलिन से कितनी प्रेरणा ली, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके प्रतिष्ठित आरके फिल्म्स (RK Films) के बैनर का लोगो भी ‘आवारा’ फिल्म के एक दृश्य से लिया गया है, जिसमें राज कपूर (राजू) अपनी प्रेमिका नरगिस के साथ एक नाटकीय पोज़ में खड़े हैं।
अधूरी मोहब्बत की आग और बेमिसाल फिल्में
राज कपूर के जीवन का एक सबसे मार्मिक अध्याय अभिनेत्री नरगिस के साथ उनकी अधूरी प्रेम कहानी थी।
- परदे पर अमर जोड़ी: नरगिस और राज कपूर की जोड़ी ने एक साथ 16 फिल्में कीं, जिनमें ‘बरसात’, ‘श्री 420’ और ‘आवारा’ जैसी कल्ट क्लासिक्स शामिल हैं। परदे पर उनके बीच की केमिस्ट्री आज भी भारतीय सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ जोड़ियों में गिनी जाती है।
- निजी जीवन में टकराव: हालांकि, राज कपूर पहले से शादीशुदा थे, जिस कारण उनका यह प्रेम संबंध शादी की मंजिल तक नहीं पहुंच सका। नरगिस ने अंततः सुनील दत्त से शादी कर ली।
- कला पर प्रभाव: माना जाता है कि नरगिस के दूर जाने का गहरा भावनात्मक प्रभाव राज कपूर की कला और उनकी फिल्मों पर पड़ा। उनकी बाद की फिल्मों, जैसे ‘संगम’ और ‘मेरा नाम जोकर’ में, प्रेम और वियोग की यह गहरी भावना स्पष्ट रूप से झलकती है।
‘आवारा’ से रचा इतिहास
1951 में आई फिल्म ‘आवारा’ सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी एक सनसनी बन गई थी।
- अंतर्राष्ट्रीय पहचान: इस फिल्म ने राज कपूर को एक अंतर्राष्ट्रीय स्टार बना दिया। यह फिल्म खास तौर पर सोवियत संघ (USSR) और मध्य पूर्व के देशों में बेहद लोकप्रिय हुई।
- कान फिल्म फेस्टिवल: ‘आवारा’ को कान्स फिल्म फेस्टिवल में ग्रैंड प्रिक्स के लिए नामांकित किया गया था, जिसने हिंदी सिनेमा को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी।
- राज कपूर ने ‘बॉबी’, ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ और ‘राम तेरी गंगा मैली’ जैसी फिल्मों के माध्यम से भी भारतीय सिनेमा के स्वरूप को हमेशा के लिए बदल दिया।


