दिल्ली हाई कोर्ट ने देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो (IndiGo) में लगातार फ्लाइट कैंसिलेशन और देरी की बढ़ती घटनाओं पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस स्थिति को “गंभीर संकट” बताते हुए केंद्र सरकार से सवाल किया है कि आखिर विमानन क्षेत्र में हालात इस कदर कैसे बिगड़ गए।
हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी
हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इंडिगो की उड़ानें रद्द होने से न सिर्फ यात्रियों को परेशानी और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो रहा है।
- कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि हालात इतने खराब कैसे हुए और इस संकट को रोकने के लिए समय पर कदम क्यों नहीं उठाए गए।
- अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि जब इंडिगो की फ्लाइटें बंद थीं, तो अन्य एयरलाइंस ने मौके का फायदा उठाते हुए टिकटों के दाम क्यों बढ़ा दिए। कोर्ट ने पूछा कि ऐसी स्थिति में दूसरी एयरलाइंस के दाम बढ़ाने को कैसे जायज ठहराया जा सकता है।
सरकार का पक्ष और इंडिगो की माफी
सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में कानूनी प्रक्रिया लागू है।
- केंद्र ने कोर्ट को जानकारी दी कि इंडिगो को शो-कॉज नोटिस जारी किया जा चुका है।
- सरकार ने बताया कि एयरलाइन ने अपनी गलती के लिए माफी भी मांगी है और स्थिति सुधारने का आश्वासन दिया है।
नौवें दिन भी जारी संकट
इंडिगो इस समय अपने इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। घरेलू एविएशन मार्केट में 60% से अधिक हिस्सेदारी रखने वाली इस एयरलाइन का मार्केट कैप मौजूदा संकट के बाद करीब 21,000 करोड़ रुपये तक घट चुका है।
- संकट के नौवें दिन भी दिल्ली, अहमदाबाद और मुंबई जैसे बड़े एयरपोर्ट पर इंडिगो की फ्लाइट कैंसिलेशन और देरी के कारण यात्री फंसे हुए हैं। दिल्ली एयरपोर्ट पर घंटों से फंसे कई यात्रियों ने खाने-पीने और जानकारी न मिलने की शिकायत की है।


