रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लद्दाख में गलवान घाटी के बहादुर सैनिकों की शहादत को श्रद्धांजलि देते हुए गलवान वॉर मेमोरियल का उद्घाटन किया है। यह स्मारक अब आम पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है, ताकि देशवासी इस ‘वीर भूमि’ का दीदार कर सकें और शहीदों के बलिदान को याद कर सकें।
मेमोरियल की खासियत और स्थान
यह वॉर मेमोरियल दुर्बुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) रोड पर किलोमीटर-120 (KM-120) पोस्ट के पास स्थित है। यह इलाका दुनिया के सबसे कठिन सैन्य तैनाती क्षेत्रों में से एक माना जाता है, जहाँ तापमान शून्य से नीचे रहता है और ऑक्सीजन की कमी होती है।
मेमोरियल की मुख्य विशेषताएं:
- शहीदों को श्रद्धांजलि: यह मेमोरियल गलवान में 15 जून 2020 की हिंसक झड़प में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए भारत के 20 सैनिकों के बलिदान को याद करने के लिए बनाया गया है।
- डिजाइन और प्रतीक: इसे लाल और काले ग्रेनाइट पत्थरों से बनाया गया है, जो बलिदान और वीरता के प्रतीक हैं। इसका डिज़ाइन त्रिशूल और डमरू के आकार का है, जिसमें बीच की त्रिकोणीय संरचना पहाड़ों और ऊर्जा को दर्शाती है।
- मूर्तियाँ और गैलरी: स्मारक के चारों ओर 20 कांस्य की मूर्तियाँ लगाई गई हैं, जो शहीद हुए सैनिकों का प्रतीक हैं। मेमोरियल के पास अमर ज्योति और राष्ट्रीय ध्वज भी स्थापित किया गया है। यहाँ एक संग्रहालय और डिजिटल गैलरी भी है, जहाँ लद्दाख का सैन्य इतिहास और वीरता की कहानियाँ दिखाई गई हैं।
पर्यटकों के लिए नया रास्ता
यह मेमोरियल ‘भारत रणभूमि दर्शन’ योजना के तहत बनाया गया है, जिसका उद्देश्य लोगों को प्रमुख युद्ध स्थलों पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने का अवसर देना है।
पहले पर्यटकों को केवल किलोमीटर-23 तक जाने की अनुमति थी, लेकिन अब वे गलवान वॉर मेमोरियल तक जा सकते हैं। इस दुर्गम रास्ते में अब पर्यटकों के रहने और खाने का भी इंतजाम किया गया है।


