कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी द्वारा संसद और सांसदों के संबंध में दिए गए बयानों और उनके हाव-भाव पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीखा हमला बोला है। रेणुका चौधरी पहले संसद परिसर में एक कुत्ता लाने और फिर साथी सांसदों को “काटने वाला कुत्ता” कहने को लेकर विवादों में थीं, और अब पत्रकारों के सामने “भौंकने” के उनके नाटक पर BJP ने कांग्रेस पर संसद की गरिमा को ध्वस्त करने का सुनियोजित अभियान चलाने का आरोप लगाया है।
सुधांशु त्रिवेदी: ‘माओवादी एजेंडा’
BJP सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने रेणुका चौधरी के कृत्यों की कड़ी निंदा की और इसके पीछे कांग्रेस की ‘अर्बन नक्सली’ सोच को ज़िम्मेदार ठहराया। त्रिवेदी ने कहा कि रेणुका चौधरी, जो अपनी ज़ोरदार हंसी के लिए जानी जाती हैं, पहले कार में कुत्ता लाईं और फिर नाटकीय ढंग से हमदर्दी दिखाई। उन्होंने आगे कहा कि “काटने का संदर्भ कुत्ते के साथ जोड़ना” और देश के सभी सांसदों को अप्रत्यक्ष रूप से ‘काटने वाला’ कहना दर्शाता है कि “पूरी संसद की गरिमा को ध्वस्त करना कांग्रेस का एक विधिवत सुविचारित अभियान हो चुका है।”
- उन्होंने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। त्रिवेदी ने कहा कि यह व्यवहार अर्बन नक्सली सोच की तरह है, जहाँ सभी संवैधानिक संस्थाओं का अपमान किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि “हिंदू धर्म के प्रति” (जो मुस्लिम लीग का एजेंडा है) और संवैधानिक संस्थाओं के प्रति कांग्रेस की सोच अब बहुत आगे निकल गई है।
शहजाद पूनावाला: ‘सामंती सोच, संवैधानिक सोच नहीं’
BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी रेणुका चौधरी के बयान को कांग्रेस की सामंती मानसिकता का प्रमाण बताया। पूनावाला ने कहा कि रेणुका चौधरी के कार्यों से पता चलता है कि कांग्रेस संसद के विषय में क्या सोचती है—उनकी सामंती सोच है, संवैधानिक सोच नहीं। उन्होंने आरोप लगाया कि रेणुका चौधरी ने पहले दिन कुत्ता लाकर संसद के अंदर बैठने वाले सांसदों को कुत्ते कहा।
- अशोभनीय भाषा: उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस नेता ने कल सेना का अपमान किया (विस्तृत जानकारी नहीं दी गई) और आज जब उनसे संवैधानिक प्रक्रिया (प्रिविलेज मोशन) के बारे में पूछा गया तो उन्होंने “भौ-भौ” कहा। पूनावाला ने कटाक्ष किया, “कांग्रेस में हो सकता है ये भाषा चलती होगी क्योंकि वहाँ पर जानवरों की अहमियत है लेकिन जनता की नहीं।”
भाजपा का मानना है कि ये घटनाएं सिर्फ व्यक्तिगत बयान नहीं हैं, बल्कि यह कांग्रेस पार्टी की संवैधानिक संस्थाओं के प्रति अनादर की रणनीति का हिस्सा हैं।


