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    26/11 मुंबई हमले की 17वीं बरसी: 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने किया था लहूलुहान

    आज (26 नवंबर 2025) भारत 26/11 मुंबई आतंकी हमले की 17वीं बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहा है। यह दिन आधुनिक भारत के इतिहास के सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक है, जब 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने देश की आर्थिक राजधानी को खून से लथपथ कर दिया था।

    राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का संदेश

    इस मौके पर, देश के शीर्ष नेताओं ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता और शहीदों के प्रति सम्मान व्यक्त किया है: राष्ट्रपति ने हमले में जान गंवाने वाले निर्दोष लोगों और शहीद हुए बहादुर सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, “यह दिन हमें सभी तरह के आतंकवाद से लड़ने के अपने वादे को फिर से पक्का करने का अवसर देता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि विश्व में कहीं भी आतंकवादियों और उनके समर्थकों को पनाह न मिले।”

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमले में मारे गए लोगों और बहादुर जवानों को नमन किया। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि यह देश उन सभी पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने झुकता है, जिन्होंने मुंबई हमले के दौरान आतंकवादियों से बहादुरी से लोहा लेते हुए अपना जीवन बलिदान कर दिया।

    उस भयानक रात की यादें

    26 नवंबर 2008 को, लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने समुद्री मार्ग से मुंबई में प्रवेश किया और चार दिनों तक (लगभग 59 घंटे) मौत का तांडव मचाया। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे। आतंकियों ने शहर के कई प्रतिष्ठित और भीड़-भाड़ वाले स्थानों छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST), ताज महल पैलेस होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, नरीमन हाउस (एक यहूदी सामुदायिक केंद्र), लियोपोल्ड कैफे को निशाना बनाया था।

    शहीदों को नमन

    इस हमले में मुंबई पुलिस और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के कई बहादुर जवान शहीद हुए थे। देश आज भी उनकी बहादुरी को याद करता है। 26/11 मुंबई हमले के दौरान अपनी जान कुर्बान करने वाले इन पाँचों जाँबाज़ अधिकारियों और जवानों को देश हमेशा याद रखेगा।

    नामपदबहादुरी/योगदान
    हेमंत करकरेमहाराष्ट्र ATS प्रमुखताज होटल में टीम लीड करने के बाद, आतंकवादियों की तलाश में कामा अस्पताल के पास टीम के साथ शहीद हुए।
    अशोक काम्टेअतिरिक्त पुलिस आयुक्त (पूर्वी क्षेत्र)आतंकवादियों से सीधे मुकाबला करने के लिए रवाना हुए। कामा अस्पताल के पास भीषण गोलीबारी में करकरे और सालस्कर के साथ शहीद हुए।
    विजय सालस्करसीनियर पुलिस इंस्पेक्टर (एनकाउंटर स्पेशलिस्ट)अपनी टीम के साथ आतंकवादियों का पीछा किया। आतंकवादियों की गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल होकर शहीद हुए।
    मेजर संदीप उन्नीकृष्णनएनएसजी कमांडोताज होटल में आतंकवादियों से मुकाबला करते हुए अपनी टीम को बचाने के लिए आगे बढ़े और कमरे में घुसकर गोलीबारी की। उन्होंने कहा था, “ऊपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा।”
    तुकाराम ओंबलेसहायक उप-निरीक्षक (ASI)इन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए, बिना किसी हथियार के आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ लिया। कसाब की गोलियाँ लगने के बावजूद उन्होंने उसे छोड़ा नहीं और उसे ज़िंदा पकड़वाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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