असम की एक सरकारी स्कूल की टीचर, कमेरीना राभा, ने अपनी नौकरी के साथ-साथ वनीला की खेती को अपनाकर एक बेहतरीन सफलता की कहानी लिखी है। उन्होंने पारंपरिक खेती से हटकर एक ऐसा फॉर्मूला खोजा है, जिससे वह सालाना ₹12 लाख तक की अतिरिक्त कमाई कर लेती हैं।
असली कमाई 3 PM के बाद
कमेरीना राभा की सफलता का फॉर्मूला उनकी सटीक समय प्रबंधन में छिपा है। वह सुबह सरकारी स्कूल में पढ़ाने जाती हैं और दोपहर 3 बजे के आसपास उनकी छुट्टी हो जाती है। इसके बाद, वह अपने खाली समय का उपयोग वनीला फार्मिंग के काम में करती हैं। उनका कहना है कि उनकी असली कमाई 3 PM के बाद शुरू होती है, जब वह वनीला की देखभाल, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग पर ध्यान देती हैं।
वनीला की खेती का चुनाव
कमेरीना ने खेती के लिए वनीला को चुना क्योंकि इसकी बाजार में भारी मांग है और इसकी कीमत भी काफी अच्छी मिलती है। उन्होंने अपने गांव में एक छोटी सी जमीन पर 200 पौधे लगाकर इसकी शुरुआत की थी।
- उच्च लाभ: वनीला की फलियों की गुणवत्ता और सुगंध के कारण इन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बहुत ऊंचे दामों पर बेचा जाता है।
- प्रसंस्करण: वनीला की खेती में सबसे महत्वपूर्ण और श्रमसाध्य काम इसकी क्योरा (curing) और प्रोसेसिंग का होता है, जिससे इसकी सुगंध और कीमत बढ़ती है। камеरीना इस काम को भी खुद ही संभालती हैं।
- आय में वृद्धि: कड़ी मेहनत और सही तकनीक के कारण, उनकी आय में लगातार वृद्धि हुई और अब वह सालाना 12 लाख रुपये कमा लेती हैं।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा
कमेरीना राभा ने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया है कि नौकरीपेशा लोग भी पार्ट-टाइम खेती से शानदार कमाई कर सकते हैं।
- वह अब असम के अन्य किसानों को भी वनीला की खेती के गुर सिखाती हैं।
- उन्होंने किसानों को पारंपरिक फसलों से हटकर उच्च-मूल्य वाली फसलों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है।
कमेरीना की यह कहानी दिखाती है कि अगर सही फसल का चुनाव किया जाए और लगन से काम किया जाए, तो खेती भी एक लाभदायक व्यवसाय बन सकती है। उन्होंने शिक्षक और किसान दोनों की भूमिकाओं को बखूबी निभाकर समाज के सामने एक मिसाल पेश की है।


