कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बीच चल रहा सत्ता संघर्ष (Tussle) एक बार फिर चरम पर पहुँच गया है। सरकार के ढाई साल का कार्यकाल (20 नवंबर को पूरा) पूरा होने के बाद से ही नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज़ी से बढ़ गई हैं।
डीके शिवकुमार समर्थक विधायकों का दिल्ली कूच
पार्टी सूत्रों के अनुसार, डी.के. शिवकुमार का समर्थन कर रहे विधायकों का एक और समूह रविवार रात को कांग्रेस हाईकमान से मिलने के लिए दिल्ली पहुँचा है। इस समूह में कम से कम छह विधायक शामिल हैं। उनका मुख्य मकसद कांग्रेस नेतृत्व पर ढाई साल के सत्ता-साझेदारी समझौते को लागू करने का दबाव बनाना है। शिवकुमार खेमे का दावा है कि 2023 में सरकार बनने के समय यह समझौता हुआ था कि सिद्धारमैया ढाई साल बाद पद छोड़ देंगे और शिवकुमार मुख्यमंत्री बनेंगे। इससे पहले, पिछले सप्ताह भी शिवकुमार समर्थक करीब 10 विधायक दिल्ली जाकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर चुके थे।
हाईकमान पर दबाव और नेताओं की प्रतिक्रिया
- मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इन अटकलों को लगातार खारिज कर रहे हैं। शनिवार को खरगे से मुलाकात के बाद उन्होंने दोहराया कि वह अगला बजट खुद पेश करेंगे और पूरे पांच साल तक सीएम बने रहेंगे। उनका कहना है कि नेतृत्व परिवर्तन की बातें केवल मीडिया की उपज हैं।
- हालांकि शिवकुमार खुद विधायकों के दिल्ली जाने के बारे में जानकारी होने से इनकार कर रहे हैं, लेकिन उनके समर्थक खुले तौर पर सीएम पद की मांग कर रहे हैं।
- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे वर्तमान में बेंगलुरु में हैं और जल्द ही दिल्ली लौटने वाले हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के भी विदेश यात्रा से लौटने की संभावना है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, नेतृत्व परिवर्तन पर अंतिम फैसला हाईकमान (खरगे और राहुल गांधी) ही लेगा।
- सिद्धारमैया अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल पर जोर दे रहे हैं, जबकि शिवकुमार गुट पहले नेतृत्व परिवर्तन पर फैसला चाहता है। कई अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि अगर आलाकमान मंत्रिमंडल में फेरबदल की मंजूरी दे देता है, तो यह सिद्धारमैया के पूरे कार्यकाल तक बने रहने का संकेत हो सकता है, जिससे शिवकुमार की राह और मुश्किल हो जाएगी।


