राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने दावा किया है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की पाठ्यपुस्तकों में सुधार किया गया है, जिसके तहत अब अकबर और टीपू सुल्तान को ‘महान’ (Great) शासकों के रूप में नहीं पढ़ाया जाएगा। यह दावा उन्होंने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान किया, जहां उन्होंने शिक्षा और इतिहास लेखन में भारतीय दृष्टिकोण को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
आंबेकर के अनुसार, भारतीय इतिहास की पाठ्यपुस्तकों को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले के पाठ्यक्रम में कुछ शासकों को अनावश्यक रूप से महिमामंडित किया गया था, जबकि भारतीय सभ्यता और संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कई अन्य शासकों और नायकों को उचित स्थान नहीं दिया गया था।
- अकबर: सुनील आंबेकर ने स्पष्ट किया कि अकबर को एक सामान्य शासक के रूप में पढ़ाया जाएगा, न कि ‘अकबर द ग्रेट’ के रूप में। उनका तर्क है कि भारतीय इतिहास में सम्राट अशोक (Emperor Ashoka) और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य (Emperor Chandragupta Maurya) जैसे कई ऐसे शासक हुए हैं, जिनका योगदान अकबर से कहीं अधिक व्यापक और ‘महान’ था।
- टीपू सुल्तान: मैसूर के शासक टीपू सुल्तान को भी अब ‘महान’ की श्रेणी से बाहर रखा जाएगा। आरएसएस और कई अन्य संगठन लंबे समय से टीपू सुल्तान पर धार्मिक असहिष्णुता और बलपूर्वक धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहे हैं।
भारतीय दृष्टिकोण पर जोर
आंबेकर ने इस बात पर बल दिया कि NCERT का यह सुधार शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीयता को केंद्र में लाने की व्यापक पहल का हिस्सा है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020): उन्होंने कहा कि यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (New Education Policy – NEP) के सिद्धांतों के अनुरूप है, जो पाठ्यक्रम को स्थानीय संदर्भ, राष्ट्रीय गौरव और वास्तविक ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित बनाने का प्रयास करती है।
- नायकों को सम्मान: इस सुधार का उद्देश्य केवल ‘महान’ की उपाधि हटाना नहीं है, बल्कि राणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, और अन्य क्षेत्रीय शासकों को उनके वास्तविक महत्व के साथ पाठ्यपुस्तकों में शामिल करना भी है, ताकि छात्रों को देश के सभी हिस्सों के इतिहास की पूरी जानकारी मिल सके।
यह दावा भारतीय इतिहास के पाठ्यक्रम को लेकर चल रहे विवादों को फिर से हवा दे सकता है। शिक्षा मंत्रालय या NCERT की ओर से इस संबंध में कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन पाठ्यपुस्तकों में बदलाव की प्रक्रिया को लेकर चर्चाएं पहले से ही चल रही हैं।


