केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया का पुरजोर समर्थन करते हुए इसे ‘लोकतंत्र को बचाने का अभियान’ बताया है और घुसपैठियों को लेकर विपक्ष पर कड़ा निशाना साधा है।
SIR: देश और लोकतंत्र की रक्षा
- अमित शाह ने स्पष्ट किया कि SIR केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह देश और लोकतंत्र की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है।
- उन्होंने कहा कि देश कौन चलाएगा, यह सिर्फ भारत के नागरिक ही तय कर सकते हैं, घुसपैठिए नहीं।
- शाह ने तर्क दिया कि यदि कोई घुसपैठिया देश के नागरिक के रूप में वोट डालता है, तो यह लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
घुसपैठियों को बाहर करने का संकल्प
- गृह मंत्री ने कहा कि SIR प्रक्रिया के माध्यम से मतदाता सूची से हर एक घुसपैठिए को बाहर निकाला जाएगा।
- उन्होंने अपनी सरकार की मंशा साफ करते हुए कहा, “एक-एक घुसपैठिए को चुन-चुन कर बाहर निकालेंगे।”
- शाह ने विपक्षी दलों पर तुष्टीकरण की राजनीति करने और घुसपैठियों को राजनीतिक संरक्षण देने का आरोप लगाया, क्योंकि वे उन्हें अपना वोट बैंक मानते हैं।
टीएमसी को जवाब
- शाह की यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस पत्र के ठीक एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने SIR प्रक्रिया को ‘खतरनाक’ बताकर इसे रोकने की मांग की थी।
- अमित शाह ने कहा कि जो लोग इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं, वे सीधे तौर पर घुसपैठियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
- उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया में किसी को भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
SIR क्या है?
SIR (Special Intensive Revision) भारत के चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई एक व्यापक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को त्रुटि रहित (शुद्ध) और विश्वसनीय बनाना है। इसके तहत, बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर सत्यापन करते हैं ताकि सूची से मृत, स्थानांतरित या अपात्र मतदाताओं (जैसे कि घुसपैठिए) के नाम हटाए जा सकें और योग्य मतदाताओं को जोड़ा जा सके।


