भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई के विदाई समारोह में उन्होंने अपने जीवन और धार्मिक विश्वासों के बारे में कई दिलचस्प बातें साझा कीं। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के उनके सहकर्मी जस्टिस सूर्यकांत ने उनके साथ अपनी 20 साल पुरानी दोस्ती को याद किया।
CJI गवई के धार्मिक विश्वास पर खुलासा
CJI गवई ने अपने विदाई भाषण में बताया कि वह बौद्ध धर्म का पालन करते हैं, लेकिन उनका विश्वास किसी एक धर्म तक सीमित नहीं है। उन्होंने कहा:
- उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मानना है कि सभी धर्मों का मूल उद्देश्य एक ही है, जो कि मानवता है।
- उन्होंने याद करते हुए बताया कि वह अपनी मां के साथ मुंबई की प्रसिद्ध दरगाह भी जाया करते थे। यह इस बात का प्रमाण है कि वह सभी धर्मों के प्रति सम्मान और आस्था रखते हैं।
- उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका में उच्च पद पर होने के कारण यह आवश्यक हो जाता है कि न्यायधीश अपने व्यक्तिगत विश्वासों को सार्वजनिक न करें, ताकि न्यायिक कार्य प्रभावित न हो।
जस्टिस सूर्यकांत की 20 साल पुरानी दोस्ती
जस्टिस सूर्यकांत ने इस अवसर पर CJI गवई के साथ अपने गहरे और लंबे जुड़ाव को याद किया। उन्होंने कहा:
- जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि CJI गवई के साथ उनका संबंध 20 साल से भी अधिक पुराना है, जिसकी शुरुआत उनके बॉम्बे हाईकोर्ट में एक साथ काम करने के दौरान हुई थी।
- उन्होंने CJI गवई के ईमानदार और निष्पक्ष स्वभाव की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि गवई ने हमेशा न्याय के सिद्धांतों को प्राथमिकता दी और अपने फैसलों में व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों को कभी हावी नहीं होने दिया।
CJI गवई का कार्यकाल 24 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। उनके विदाई समारोह ने न्यायपालिका में उनके योगदान और उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को उजागर किया।


