बिहार में विधानसभा चुनाव के बाद, नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जिसके साथ ही राज्य में एनडीए की नई सरकार का गठन हो गया। गांधी मैदान में आयोजित भव्य शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री सहित कुल 27 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली। इस मंत्रिपरिषद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व मिला है, जबकि जनता दल (यूनाइटेड) (जदयू) और अन्य सहयोगी दलों को भी जगह दी गई है।
किस दल को कितने मंत्री पद मिले:
नई सरकार के गठन में भाजपा को सबसे ज्यादा 14 मंत्री पद मिले हैं। यह दर्शाता है कि गठबंधन में भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को 8 मंत्री पद मिले हैं, जो भाजपा से कम हैं।
नीतीश कुमार के अलावा, सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने भी उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। दोनों उपमुख्यमंत्री भाजपा कोटे से हैं।
गठबंधन के अन्य सहयोगी दलों की बात करें तो, चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 2 मंत्री पद दिए गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को 1 मंत्री पद मिला है। इसके अलावा, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) को भी मंत्रिपरिषद में 1 मंत्री पद देकर सम्मानजनक प्रतिनिधित्व दिया गया है।
गठबंधन में शक्ति संतुलन:
यह कैबिनेट विस्तार एनडीए गठबंधन में शक्ति संतुलन को दर्शाता है। एक तरफ नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने रहे, वहीं भाजपा ने 14 मंत्री और दो उपमुख्यमंत्री पद लेकर सरकार में अपनी निर्णायक स्थिति सुनिश्चित की है। चिराग पासवान, मांझी और कुशवाहा जैसे छोटे सहयोगी दलों को भी एक-दो सीटें देकर क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास किया गया है, ताकि एक मजबूत और स्थिर सरकार चलाई जा सके। यह नई मंत्रिपरिषद अब बिहार में विकास और सुशासन के लक्ष्य को आगे बढ़ाने का कार्य करेगी।


