दिल्ली में हुए भीषण कार ब्लास्ट (10 नवंबर 2025) की जांच अब उत्तराखंड तक पहुंच गई है। उत्तर प्रदेश एटीएस (ATS) ने उत्तराखंड इंटेलिजेंस मुख्यालय के साथ सात संदिग्धों की जानकारी साझा की है, जिनका संपर्क ब्लास्ट के आरोपियों से रहा है।
उत्तराखंड कनेक्शन और जांच की दिशा
- उत्तराखंड पुलिस की इंटेलिजेंस और एसटीएफ (STF) टीमें इन सातों संदिग्धों की गहन जांच कर रही हैं। उनसे अलग-अलग चरणों में पूछताछ की जा रही है।
- सूत्रों के अनुसार, जिन लोगों की जांच की जा रही है उनमें एक प्लेसमेंट एजेंसी चलाने वाला व्यक्ति, आरोपियों के दो साथी और मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े अन्य लोग शामिल हैं।
- सुरक्षा एजेंसियां ब्लास्ट के मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन नबी और उसके साथियों, जैसे डॉ. आमिर राशिद अली, डॉ. मुजम्मिल शकील, डॉ. आदिल राठर, और डॉ. शाहीन शाहिद, के कॉल रिकॉर्ड, इलेक्ट्रॉनिक डेटा और विभिन्न ऐप की जांच कर रही हैं। इन जांचों से ही उत्तराखंड से जुड़े अहम सुराग मिले हैं।
- दिल्ली ब्लास्ट में जिस तरह से IED से भरी कार का इस्तेमाल किया गया, उसके तार कश्मीर से लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश तक फैले हुए हैं। उत्तराखंड से जुड़े लिंक्स की जांच इस ‘व्हाइट कॉलर टेरर’ मॉड्यूल को पूरी तरह से बेनकाब करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही है।
डॉक्टर मॉड्यूल की भूमिका
जांच में सामने आया है कि इस मॉड्यूल में डॉक्टरों की एक बड़ी संख्या शामिल हो सकती है।
- कानपुर के कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टर आरिफ का नाम भी आतंकी कनेक्शन में आने के बाद उनकी बर्खास्तगी की तैयारी की जा रही है।
- राष्ट्रीय मेडिकल कमीशन (NMC) ने भी ब्लास्ट में शामिल पाए गए चार डॉक्टरों (डॉ. मुजफ्फर अहमद, डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद) का रजिस्ट्रेशन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
- खुफिया एजेंसियों को पहले से ही उत्तराखंड कनेक्शन का अंदेशा था, क्योंकि सहारनपुर (जहां से डॉ. अदील को गिरफ्तार किया गया) की सीमा उत्तराखंड के नजदीक है, जिसका उपयोग कथित तौर पर घटना के बाद भागने की योजना के लिए किया जा सकता था।


