बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के निर्णायक रुझानों ने देश के सियासी नक्शे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके सहयोगियों की पकड़ को और मजबूत कर दिया है। मतगणना के रुझानों से स्पष्ट हो गया है कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए (NDA) की सरकार बनने जा रही है। इस परिणाम ने साबित कर दिया है कि भाजपा और उसके सहयोगियों के लिए बिहार एक अभेद्य किला बना हुआ है, जिससे भविष्य के चुनावों के लिए उनके राष्ट्रीय एजेंडे को बल मिला है।
20 राज्यों में NDA का दबदबा बरकरार
चुनाव के नतीजों से पहले, देश के 20 राज्यों में भाजपा या उसके गठबंधन सहयोगी सत्ता में थे। 243 सीटों वाले बिहार जैसे बड़े और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य का परिणाम इस सियासी संतुलन को प्रभावित करने वाला था।
चूंकि रुझानों में एनडीए ने लगभग 190 सीटों पर निर्णायक बढ़त हासिल कर ली है, बिहार में सत्ता में बदलाव की विपक्ष की उम्मीदें टूट गई हैं। इस जीत के साथ, एनडीए ने बिहार को अपने नियंत्रण वाले राज्यों की सूची में मजबूती से बनाए रखा है, जिससे देश के नक्शे पर भगवा रंग का प्रभुत्व 20 राज्यों पर बरकरार रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर संदेश
बिहार की यह जीत केवल राज्य की सत्ता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका राष्ट्रीय राजनीति पर गहरा असर है:
- केंद्र को ताकत: यह परिणाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और गठबंधन के नेतृत्व पर जनता के विश्वास को पुष्ट करता है।
- विपक्ष की चुनौती: विपक्षी महागठबंधन (आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट) के लिए यह एक बड़ा झटका है, खासकर तब जब तेजस्वी यादव ने बड़े पैमाने पर युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश की थी।
- हिंदी पट्टी में वर्चस्व: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, गुजरात के बाद बिहार की जीत एनडीए के “हिंदी हार्टलैंड” (हिंदी भाषी क्षेत्र) में वर्चस्व को और मजबूत करती है।


