दिल्ली में हुए आतंकी विस्फोट मामले में गिरफ्तार दो डॉक्टरों के अल फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े होने के बाद, अब इस संस्थान पर गाज गिरी है। राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) ने अल फलाह विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी किया है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट को भी बंद कर दिया गया है।
जांच एजेंसियों को पता चला है कि इस आतंकी मॉड्यूल के दो प्रमुख आरोपी – डॉ. उमर उन नबी और डॉ. मुजम्मिल गनई – अल फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े हुए थे। डॉ. मुजम्मिल यहां प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था, जबकि डॉ. उमर का भी संस्थान से संबंध रहा था।
NAAC ने क्यों जारी किया नोटिस?
NAAC उच्च शिक्षा संस्थानों को मान्यता देती है। NAAC ने विश्वविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि आतंकी गतिविधियों में शामिल लोगों को संस्थान में नौकरी क्यों दी गई और उनके आतंकी मॉड्यूल से संबंध की जानकारी मिलने के बाद संस्थान ने क्या कदम उठाए।
एक शैक्षणिक संस्थान के उच्च पद पर बैठे व्यक्ति का आतंकी साजिश में शामिल होना शिक्षण मानकों और संस्थागत अखंडता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। NAAC ने विश्वविद्यालय से इस मामले में विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है।
वेबसाइट बंद और जांच का दबाव
आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट को बंद कर दिया है। यह कदम संभवतः संस्थान से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक होने से रोकने या जांच एजेंसियों के दबाव में उठाया गया है।
जांच एजेंसियों को संदेह है कि विश्वविद्यालय में इस आतंकी मॉड्यूल के स्लीपर सेल सक्रिय हो सकते हैं या संस्थान का उपयोग फंडिंग या भर्ती के लिए किया गया हो। पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां अब विश्वविद्यालय के प्रबंधन, कर्मचारियों और छात्रों की गतिविधियों की गहन जांच कर रही हैं।
इससे पहले विश्वविद्यालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि गिरफ्तार डॉक्टरों से उनका सिर्फ पेशेवर संबंध है और वे राष्ट्र के साथ एकजुटता से खड़े हैं। हालांकि, NAAC के नोटिस और वेबसाइट बंद होने से संस्थान पर दबाव काफी बढ़ गया है।


