दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास 10 नवंबर की शाम हुए कार बम धमाके को 50 घंटे से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अब तक किसी भी बड़े आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। आमतौर पर, आतंकी संगठन ऐसे बड़े हमलों की जिम्मेदारी कुछ ही घंटों के भीतर ले लेते हैं। जिम्मेदारी न लेने की यह चुप्पी जांच एजेंसियों के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा कर रही है, हालांकि आतंकी मॉड्यूल जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) पर शक की सुई सबसे गहरी है।
जिम्मेदारी न लेने के पीछे क्या कारण?
जांच एजेंसियां इस बात की कई वजहें मान रही हैं कि किसी भी संगठन ने अब तक जिम्मेदारी क्यों नहीं ली है:
- सूत्रों के अनुसार, धमाके का तरीका और निशाने पर ली गई जगहें (लाल किला, इंडिया गेट) जैश-ए-मोहम्मद की आतंकी गतिविधियों से मिलते-जुलते हैं। फरीदाबाद से गिरफ्तार किए गए मॉड्यूल के तार सीधे जैश की महिला विंग और पाकिस्तान स्थित उनके आकाओं से जुड़े हैं।
- कुछ जांचकर्ताओं को संदेह है कि यह हमला सोची-समझी साजिश के तहत नहीं, बल्कि घबराहट में हुआ हो सकता है। फरीदाबाद में एक आतंकी मॉड्यूल की गिरफ्तारी के बाद, दिल्ली में मौजूद मॉड्यूल ने दबाव में आकर या गलत हैंडलिंग के कारण डिवाइस को समय से पहले ब्लास्ट कर दिया हो।
- यह भी हो सकता है कि आतंकी संगठन इस हमले को असफल प्रयास मान रहा हो क्योंकि उनके मुख्य टारगेट (दिसंबर 6 को 26/11 जैसा हमला) पूरे नहीं हो पाए।
शक की सुई इन पर केंद्रित
जांच का दायरा मुख्य रूप से जैश-ए-मोहम्मद के स्लीपर सेल और गिरफ्तार किए गए ‘सफेदपोश’ मॉड्यूल पर केंद्रित है:
- डॉ. उमर उन नबी: जांच में यह सामने आया है कि इस हमले का मुख्य सूत्रधार डॉ. उमर था, जिसने अकेले धमाके को अंजाम दिया और वह दिसंबर में 26/11 जैसे बड़े हमले को अंजाम देना चाहता था।
- जैश की महिला विंग (जमात उल मोमिनात): गिरफ्तार महिला डॉक्टर शाहीन सईद को जैश की महिला विंग ‘जमात उल मोमिनात’ के लिए भारत में भर्ती करने का जिम्मा सौंपा गया था, जिसके तार सीधे मसूद अजहर की बहन से जुड़े थे।
- विदेशी कनेक्शन: डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के तुर्किये (Turkey) जाने और विदेशी हैंडलर से मिलने की आशंका भी जांच के केंद्र में है।
- फंडिंग के सूत्रधार: मुफ्ती इरफान अहमद, डॉ. आदिल और शाहीन सईद को इस पूरे आतंकी मॉड्यूल के तीन सूत्रधारों में गिना जा रहा है, जिन पर पाकिस्तान और विदेशों से फंडिंग जुटाने का शक है।
NIA ने अब इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली है और देशभर में 500 से अधिक जगहों पर छापेमारी कर रही है। फरीदाबाद से जब्त किए गए 3000 किलो अमोनियम नाइट्रेट जैसे विस्फोटक पदार्थों ने एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।


