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    दिल्ली बम धमाका: डॉ. उमर ने रची थी 26/11 जैसे हमले की साजिश, तुर्किये से जुड़े आतंकी तार

    दिल्ली में हुए भीषण बम धमाके के मामले में पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच एजेंसियों के सूत्रों के अनुसार, इस आतंकी साजिश का मुख्य सूत्रधार डॉ. उमर था, जिसने अकेले धमाके को अंजाम दिया और उसका इरादा दिसंबर माह में राष्ट्रीय राजधानी को 26/11 मुंबई हमले की तर्ज पर दहलाना था।

    जांचकर्ताओं को मिले सबूतों से पता चला है कि डॉ. उमर ने 10 नवंबर की शाम को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार विस्फोट को अकेले अंजाम दिया था। उसका यह हमला एक बड़ी आतंकी योजना का हिस्सा था, जिसका मकसद 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर दिल्ली में व्यापक स्तर पर तबाही मचाना था। इसी बड़े हमले की तैयारी के लिए वह बड़ी मात्रा में विस्फोटक जमा कर रहा था।

    तुर्किये से जुड़े तार और विदेशी फंडिंग

    इस आतंकी मॉड्यूल की जड़ें देश के बाहर तक फैली हुई हैं। जांच में सामने आया है कि मुख्य आरोपी डॉ. उमर और उसके सहयोगी डॉ. मुजम्मिल गनई ने हाल ही में तुर्किये (Turkey) की यात्रा की थी। उनके पासपोर्ट में तुर्किये के आव्रजन टिकट (Immigration Stamps) मिले हैं।

    जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि क्या दोनों डॉक्टर वहां किसी विदेशी हैंडलर से मिले थे, जिसने उन्हें हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के लिए प्रेरित किया। इस बात की भी जांच की जा रही है कि उन्हें फंडिंग (धन) और विस्फोटक सामग्री का स्रोत कहां से मिला।

    चार प्रमुख स्थानों पर हमले की थी योजना

    पुलिस की पूछताछ में गिरफ्तार किए गए आठ संदिग्धों से मिली जानकारी के अनुसार, इस मॉड्यूल ने दिल्ली के चार महत्वपूर्ण और भीड़-भाड़ वाले स्थानों को निशाना बनाने की योजना बनाई थी:

    1. लाल किला (Red Fort)
    2. इंडिया गेट (India Gate)
    3. कॉन्स्टीट्यूशन क्लब (Constitution Club)
    4. गौरी शंकर मंदिर (Gauri Shankar Mandir)

    यह भी सामने आया है कि डॉ. मुजम्मिल ने जनवरी के पहले सप्ताह में ही कई बार लाल किले के आस-पास की रेकी की थी, जिससे एजेंसियों को संदेह है कि उनकी योजना 26 जनवरी को भी हमले को अंजाम देने की थी, लेकिन तब वे नाकाम रहे थे।

    विस्फोटक सामग्री और आपसी विवाद

    आरोपियों ने IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने के लिए 20 क्विंटल से अधिक NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम) उर्वरक खरीदा था। इस साजिश के लिए डॉ. उमर और अन्य सहयोगियों ने मिलकर 20 लाख रुपये से अधिक की राशि जुटाई थी।

    जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि डॉ. उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच पैसों को लेकर आपसी विवाद भी चल रहा था, जिसे लेकर वे सिग्नल जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप पर बातचीत करते थे। यह सभी खुलासे फरीदाबाद के सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद हुए हैं, जिनसे आगे की पूछताछ जारी है।

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