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    दिल्ली बम धमाका : देशभर को दहलाने वाले थे 8 संदिग्ध, 4 जगहों पर सीरियल विस्फोट की थी योजना

    दिल्ली बम धमाके की जांच में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, लगभग आठ संदिग्धों ने राष्ट्रीय राजधानी और देशभर में चार अलग-अलग स्थानों पर सिलसिलेवार विस्फोट करने की विस्तृत योजना बनाई थी। इस साजिश को अंजाम देने के लिए, आरोपियों ने दो-दो सदस्यों के चार गिरोह बनाए थे, जिन्हें कई आईईडी (IED) ले जाकर अलग-अलग शहरों में विस्फोट करने का जिम्मा सौंपा गया था।

    जांच में सामने आया है कि लाल किला विस्फोट के आरोपी डॉ. मुजम्मिल, डॉ. अदील, उमर और शाहीन ने मिलकर लगभग 20 लाख रुपये नकद जुटाए, जो मुख्य साजिशकर्ता उमर को सौंपे गए थे। इन पैसों का इस्तेमाल विस्फोटक सामग्री खरीदने में किया गया। आरोपियों ने गुरुग्राम और नूंह के आसपास के इलाकों से IED बनाने के लिए तीन लाख रुपये का 20 क्विंटल से अधिक NPK (उर्वरक) खरीदा था।

    सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह हुआ कि डॉक्टर उमर, 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर दिल्ली में मुंबई के 26/11 जैसे हमले को अंजाम देने की फिराक में था, जिसके लिए भारी मात्रा में विस्फोटक जमा किया गया था।

    निशाने पर थे लाल किला, इंडिया गेट

    फरीदाबाद के सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल से पकड़े गए आठ संदिग्धों से पूछताछ के आधार पर, एजेंसियों ने खुलासा किया है कि उनके निशाने पर दिल्ली के ऐतिहासिक और संवेदनशील स्थल थे। इनमें लाल किला, इंडिया गेट, कॉन्स्टीट्यूशन क्लब और गौरी शंकर मंदिर शामिल थे। इसके अलावा, देशभर के रेलवे स्टेशनों और शॉपिंग मॉल्स को भी निशाना बनाने की तैयारी थी।

    उमर-मुजम्मिल में था पैसों का विवाद

    जांच में यह भी पता चला कि संदिग्ध उमर और डॉ. मुजम्मिल के बीच पैसे के लेनदेन को लेकर विवाद था। उमर ने साजिश के लिए सिग्नल ऐप पर 2-4 सदस्यों का एक गोपनीय ग्रुप बनाया था।

    लाल किले की रेकी और तुर्किये कनेक्शन

    गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल गनई ने इस साल जनवरी में कई बार लाल किला इलाके की रेकी की थी, जिससे पता चलता है कि 26 जनवरी को भी इस स्मारक को निशाना बनाने की साजिश थी। इसके साथ ही, उमर और मुजम्मिल के तुर्किये (Turkey) जाने का भी खुलासा हुआ है। उनके पासपोर्ट में तुर्किये के आव्रजन टिकट मिले हैं। जांच एजेंसियां इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि क्या वे वहां किसी विदेशी हैंडलर से मिले थे। हालांकि, तुर्किये सरकार ने आतंकी गतिविधियों में शामिल होने से इनकार किया है। इस बीच, शक के घेरे में आए अल फलाह विश्वविद्यालय ने कहा है कि गिरफ्तार डॉक्टरों से उनका केवल पेशेवर संबंध है और वह राष्ट्र के साथ एकजुटता से खड़ा है।

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