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    ‘वंदे मातरम्’ राष्ट्रीय भावना और प्रेरणा का स्रोत, 150वीं वर्षगांठ पर बोले शाह और योगी

    ‘वंदे मातरम्’ गीत के रचनाकाल (7 नवंबर 1875) से शुरू होकर अगले एक साल तक यानी 7 नवंबर 2026 तक चलने वाले विशेष स्मरण वर्ष के अवसर पर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय गीत के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए।

    अमित शाह: राष्ट्रभक्ति की अमर ज्वाला

    केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ आज भी हर भारतीय के दिल में राष्ट्रभक्ति की अमर ज्वाला प्रज्वलित करता है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “‘वंदे मातरम’ सिर्फ शब्दों का समूह नहीं, यह भारत की आत्मा की आवाज है।” शाह ने बताया कि अंग्रेजी शासन के खिलाफ इस गीत ने देश को एकजुट किया, आजादी की चेतना को प्रबल किया, और वीर क्रांतिकारियों में मातृभूमि के प्रति गर्व, समर्पण और बलिदान की भावना जगाई। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे अपने परिवार के साथ मिलकर ‘वंदे मातरम्’ का पूरा संस्करण गाएं, ताकि यह भाव आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बना रहे।


    सीएम योगी: राष्ट्र प्रथम की भावना का प्रतीक

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के लोकभवन में आयोजित कार्यक्रम में ‘वंदे मातरम्’ को राष्ट्र प्रथम की भावना का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के दौरान इस गीत ने सभी देशवासियों को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया है। योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने कहा है कि यह गीत हमारे देश की शक्ति और भक्ति का प्रतीक है। दोनों नेताओं ने ‘वंदे मातरम्’ को केवल एक गीत नहीं, बल्कि राष्ट्रीय भावना और प्रेरणा का स्रोत बताया, जो आज भी देशवासियों के दिलों में देशभक्ति की लौ जलाए हुए है।

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