आईसीसी महिला वनडे विश्व कप 2025 के फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने वाली बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाज राधा यादव की सफलता उनके परिवार के अथाह संघर्ष की कहानी बयां करती है। राधा उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के अजोशी गांव की मूल निवासी हैं। राधा के पिता, ओम प्रकाश यादव ने अपने संघर्ष के दिन याद किए। उन्होंने बताया कि उन्होंने फुटपाथ पर पाव, बीड़ी और दूध बेचकर अपनी बेटियों को आगे बढ़ाया।
ताने मारने वाले अब मांग रहे मिठाई
ओम प्रकाश यादव ने उस सामाजिक विरोध का दर्द बयां किया जिसका उन्हें सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा, “आज वही लोग मिठाई मांग रहे और बांट रहे हैं, जो कल तक मुझसे कहते थे, ‘शर्म नहीं आ रही है, बेटी को लड़कों के बीच क्रिकेट खेलने के लिए भेजते हो।'”
पिता ने भावुक होकर बताया कि इसी सामाजिक दबाव और तानों के कारण राधा यादव आज तक अपने जौनपुर के पैतृक गांव नहीं गई हैं। यह जीत उन सभी सामाजिक रूढ़ियों का जवाब है जो एक लड़की के खेल करियर के बीच में आती हैं।आईसीसी महिला वनडे विश्व कप 2025 जीतने वाली भारतीय टीम की सदस्य, स्पिनर राधा यादव की सफलता की कहानी संघर्ष और दृढ़ संकल्प की मिसाल है। उत्तर प्रदेश के जौनपुर की मूल निवासी राधा का क्रिकेट का सफर आसान नहीं रहा। उन्हें न केवल सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा, बल्कि गरीबी से भी लड़ना पड़ा।
शुरुआती संघर्ष और सामाजिक ताने
- राधा जब छोटी थीं, तब उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए सामाजिक ताने सुनने पड़े। उन्हें अक्सर यह कहकर शर्मिंदा किया जाता था, “शर्म नहीं आती लड़कों संग क्रिकेट खेलती हो?” समाज में लड़कियों का क्रिकेट खेलना, खासकर लड़कों के साथ, आसानी से स्वीकार नहीं किया जाता था।
- राधा का परिवार जौनपुर से मुंबई शिफ्ट हो गया था। उनके पिता एक छोटे से दुकान चलाते थे, जिससे परिवार का गुजारा मुश्किल से होता था। संसाधनों की कमी के बावजूद, राधा के पिता ने उनके सपने को साकार करने के लिए हर संभव प्रयास किया।
टर्निंग पॉइंट और सफलता की राह
- कोच की पहचान: एक स्थानीय कोच ने राधा की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें प्रशिक्षण देना शुरू किया। राधा ने अपनी स्पिन गेंदबाजी (बाएं हाथ की ऑर्थोडॉक्स स्पिन) पर कड़ी मेहनत की।
- शुरुआती दिनों में, राधा को कई बार सार्वजनिक परिवहन से लंबी यात्राएं करनी पड़ती थीं और सीमित संसाधनों में अभ्यास करना पड़ता था। लेकिन उनके जुनून ने उन्हें रुकने नहीं दिया।
- कड़ी मेहनत का फल तब मिला जब उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह मिली। हाल ही में, उन्होंने आईसीसी महिला वनडे विश्व कप जीतने वाली टीम में एक अहम भूमिका निभाई। उनके शानदार प्रदर्शन ने टीम को मजबूती दी।
आज वही दे रहे बधाई
राधा यादव के विश्व कप जीतने के बाद, आज वही लोग उन्हें बधाई दे रहे हैं जो कभी उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए ताना मारते थे। उनके पिता को अब ‘विश्व विजेता खिलाड़ी के पिता’ के रूप में सम्मान मिल रहा है। राधा यादव की यह कहानी उन सभी युवा लड़कियों के लिए प्रेरणा है जो सामाजिक रूढ़ियों और बाधाओं के कारण अपने सपने पूरे करने से हिचकिचाती हैं। यह सफलता सिद्ध करती है कि प्रतिभा और दृढ़ता के सामने हर सामाजिक बाधा टूट जाती है।


