बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में लालू प्रसाद यादव के परिवार में आंतरिक कलह खुलकर सामने आ गई है। महुआ विधानसभा सीट, जो पहले तेज प्रताप यादव की कर्मभूमि रही है, अब उनके और छोटे भाई तेजस्वी यादव के बीच राजनीतिक युद्ध का मैदान बन गई है। इस संघर्ष ने राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की एकता और लालू परिवार की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया है।
महुआ में ‘धर्मयुद्ध’
- तेज प्रताप का स्टैंड: लालू परिवार से बाहर किए जाने के बाद, तेज प्रताप यादव अपनी नवगठित पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के बैनर तले महुआ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह इस सीट को अपनी ‘राजनीतिक कर्मभूमि’ बताते हैं और कहते हैं कि उनके लिए ‘जनता सबसे बड़ी है, न कोई पार्टी और न कोई परिवार’।
 - तेजस्वी का पलटवार: महागठबंधन (RJD) ने महुआ सीट पर निवर्तमान विधायक मुकेश रौशन को टिकट दिया है, जो तेजस्वी के करीबी माने जाते हैं। तेजस्वी यादव ने अपने बड़े भाई का नाम लिए बिना उन पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि “चाहे कोई आए और जाए, पार्टी से बड़ा कोई नहीं होता है। पार्टी ही माई-बाप है।”
 - बदले की कार्रवाई: तेजस्वी यादव के महुआ में मुकेश रौशन के लिए प्रचार करने के बाद, तेज प्रताप ने धमकी दी है कि अगर तेजस्वी उनके खिलाफ प्रचार करते हैं, तो वह उनके गढ़ राघोपुर सीट पर जाकर उनके विरुद्ध चुनाव प्रचार करेंगे। तेज प्रताप ने तेजस्वी को ‘नादान’ और ‘बच्चा’ भी बताया है।
 - राबड़ी देवी की ‘दुआ’: लालू परिवार की इस अंदरूनी जंग में मां राबड़ी देवी की स्थिति असमंजस भरी है। हालांकि, लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने बड़े भाई तेज प्रताप को भी जीत का आशीर्वाद दिया है, जिससे संदेश जाता है कि परिवार का एक हिस्सा अभी भी उनके साथ खड़ा है।
 
📊 चुनावी समीकरण
महुआ सीट पर इस परिवारिक लड़ाई के कारण मुकाबला चतुष्कोणीय होने की ओर बढ़ रहा है। राजद के मुकेश रौशन, तेज प्रताप यादव, लोजपा (रामविलास) के संजय कुमार सिंह और जन सुराज पार्टी के उम्मीदवार के बीच लड़ाई है। इस सीट पर यादव और मुस्लिम वोटबैंक का बंटवारा होने की आशंका है, जिसका सीधा फायदा अन्य उम्मीदवारों को मिल सकता है। फिलहाल, यह ‘भाई बनाम भाई’ की जंग न केवल एक सीट का भविष्य तय करेगी, बल्कि राजद के भविष्य की राजनीति और लालू परिवार के उत्तराधिकार संघर्ष पर भी बड़ा असर डालेगी।

                                    
