दिल्ली में हर साल, विशेष रूप से अक्टूबर और नवंबर के महीनों में, वायु प्रदूषण का स्तर ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाता है, जिससे राजधानी एक ‘गैस चैंबर’ में बदल जाती है। दिल्ली का प्रदूषण किसी एक कारण से नहीं, बल्कि इन सभी कारकों के एक साथ और लगातार काम करने का परिणाम है, जिसने राजधानी की हवा को जहरीला बना दिया है। इसके पीछे कई जटिल और स्थायी कारण जिम्मेदार हैं:
प्रदूषण की बड़ी और स्थायी वजहें
- वाहनों का धुआं (Vehicular Emissions): दिल्ली-एनसीआर में करोड़ों वाहन (पेट्रोल और डीजल दोनों) पंजीकृत हैं। इनसे निकलने वाला पार्टिकुलेट मैटर (PM), नाइट्रोजन ऑक्साइड्स और बेंजीन जैसी जहरीली गैसें प्रदूषण का एक बड़ा और स्थायी स्रोत हैं। परिवहन क्षेत्र विषैली गैसों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है।
 - निर्माण कार्य और धूल (Construction & Dust): शहर में चल रहे बड़े निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल (Road Dust, Construction Dust) हवा में PM10 और PM2.5 का स्तर बढ़ाती है। नियमों का ठीक से पालन न होने के कारण यह समस्या साल भर बनी रहती है।
 - खुले में कचरा जलाना (Open Waste Burning): औद्योगिक कचरा, घरेलू कूड़ा और सूखे पत्ते खुले में जलाए जाते हैं। एक अध्ययन के अनुसार, कचरा, पराली और खाना पकाने जैसी खुली आग की गतिविधियां दिल्ली के पार्टिकुलेट मैटर (PM) प्रदूषण के 50% से अधिक के लिए जिम्मेदार हैं।
 - औद्योगिक उत्सर्जन (Industrial Emissions): दिल्ली और एनसीआर के आस-पास के औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली संयंत्रों और छोटे उद्योगों द्वारा कोयले जैसे ‘गंदे ईंधन’ का उपयोग हानिकारक उत्सर्जन को बढ़ाता है, खासकर सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड।
 - स्थानीय कारक (Local Factors): कूड़े के पहाड़ (लैंडफिल), खराब सड़कें और नियमों के उल्लंघन के कारण होने वाला प्रदूषण भी स्थायी रूप से वायु गुणवत्ता को खराब बनाए रखता है।
 
मौसमी और भौगोलिक कारण
- पड़ोसी राज्यों (पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में फसल कटाई के बाद पराली जलाने से निकलने वाला धुआं और कालिख नवंबर की शुरुआत में हवा के साथ दिल्ली की ओर आता है, जिससे PM2.5 का स्तर अचानक बहुत अधिक बढ़ जाता है।
 - सर्दियों की शुरुआत में हवा की गति (Wind Speed) कम हो जाती है और तापमान गिर जाता है। स्थिर हवा और कम वेंटिलेशन इंडेक्स के कारण प्रदूषक तत्व ऊपर नहीं जा पाते और सतह के पास ही फंसकर धुंध की एक मोटी परत बना लेते हैं, जिससे प्रदूषण ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच जाता है।
 

                                    
