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    ‘साइलेंट हीरो’ अमोल मजूमदार : जिसने देश के लिए नहीं खेला, उसने बनाया विश्व चैंपियन

    भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आईसीसी महिला वनडे विश्व कप 2025 का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है। इस ऐतिहासिक जीत का एक बड़ा श्रेय टीम के मुख्य कोच अमोल मजूमदार को जाता है, जिनकी शांत नेतृत्व शैली और दृढ़ विश्वास ने टीम को विश्व विजेता बनाया। अमोल मजूमदार की कहानी क्रिकेट की दुनिया में एक ‘साइलेंट हीरो’ की कहानी है, जिन्हें खुद कभी देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपनी कोचिंग से भारत को एक ऐतिहासिक गौरव दिलाया।


    घरेलू क्रिकेट का दिग्गज, इंटरनेशनल मौका नहीं

    अमोल मजूमदार का जन्म 11 नवंबर 1974 को मुंबई में हुआ था। उनका करियर घरेलू क्रिकेट में शानदार रहा, लेकिन वह कभी भी भारतीय सीनियर टीम की जर्सी नहीं पहन पाए।

    • उन्होंने 1993 में बॉम्बे (अब मुंबई) के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया और पहली ही पारी में 260 रन बनाए, जो उस समय डेब्यू में दुनिया का सबसे बड़ा स्कोर था।
    • दो दशक से अधिक लंबे करियर में, उन्होंने 171 प्रथम श्रेणी मैचों में 48.13 की औसत से 11,167 से अधिक रन बनाए, जिसमें 30 शतक और 60 अर्धशतक शामिल थे। वह रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों में से एक हैं।
    • वह उस सुनहरे दौर में खेले जब भारतीय मध्यक्रम सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गजों से भरा हुआ था। उनकी प्रतिभा को हमेशा सराहा गया, लेकिन किस्मत ने उन्हें नीली जर्सी पहनने का मौका नहीं दिया।

    मजूमदार ने एक बार खुद कहा था, “क्रिकेट ने मुझे सब कुछ दिया, सिवाय एक कैप के।”


    शांत नेतृत्व ने टीम में भरा विश्वास

    अंतर्राष्ट्रीय अनुभव न होने के कारण अक्टूबर 2023 में भारतीय महिला टीम के मुख्य कोच के रूप में उनकी नियुक्ति पर कुछ सवाल उठे थे। हालांकि, उन्होंने जल्द ही अपने शांत और स्पष्ट दृष्टिकोण से आलोचकों को शांत कर दिया।

    • मजूमदार का कोचिंग का तरीका किसी बड़े भाषण या शोर-शराबे वाला नहीं था। उन्होंने खिलाड़ियों को शांत रहकर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित किया। उनकी सबसे बड़ी ताकत खिलाड़ियों में विश्वास जगाना था।
    • वर्ल्ड कप में टीम की शुरुआत थोड़ी धीमी रही, लेकिन मजूमदार ने ड्रेसिंग रूम में शांति बनाए रखी। सेमीफाइनल से पहले उनका सीधा और स्पष्ट संदेश था: “हमें अच्छे से फिनिश करना है। हम यही हैं।”
    • मजूमदार के मार्गदर्शन में, टीम ने अपनी एकजुटता और आत्मविश्वास को बढ़ाया। फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर जब भारतीय टीम ने पहली बार आईसीसी महिला वनडे विश्व कप की ट्रॉफी उठाई, तो यह अमोल मजूमदार के लिए काव्यात्मक न्याय जैसा था।

    विश्व चैंपियन बनने के बाद, मजूमदार ने कहा, “मैं नि:शब्द हूं। बेहद गर्व महसूस हो रहा है। उनकी मेहनत, उनका विश्वास, उन्होंने हर भारतीय का सिर ऊंचा कर दिया है।” उनकी कहानी यह साबित करती है कि सच्चे नायक बनने के लिए अंतर्राष्ट्रीय कैप का होना जरूरी नहीं है, बल्कि प्रतिभा और समर्पण से दूसरों को प्रेरित करना ही सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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