सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ कहा जाता है, भारतीय इतिहास के उन महान शिल्पकारों में से एक हैं जिन्होंने आजादी के बाद देश को एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्र के रूप में आकार दिया। उनका सबसे बड़ा और अविस्मरणीय योगदान 562 रियासतों का भारतीय संघ में विलय कराना था।
जब 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, तो देश केवल ब्रिटिश प्रांतों तक सीमित नहीं था, बल्कि छोटी-बड़ी 562 रियासतों में बंटा हुआ था। इन रियासतों को यह विकल्प दिया गया था कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हों, या स्वतंत्र रहें। यह स्थिति भारत की संप्रभुता और एकता के लिए एक गंभीर खतरा थी। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में, तत्कालीन उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री सरदार पटेल ने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति, राजनीतिक कुशलता और दृढ़ नेतृत्व का प्रदर्शन किया।
- राजनीतिक चातुर्य: सरदार पटेल ने अधिकांश रियासतों के शासकों को ‘गाजर और छड़ी’ की नीति (प्रलोभन और दबाव) के माध्यम से भारतीय संघ में शामिल होने के लिए राजी किया। उन्होंने ‘Instruments of Accession’ (विलय पत्र) पर हस्ताक्षर कराकर, उन्हें भारत का अभिन्न अंग बनाया।
- रियासतों का एकीकरण: उनकी दूरदर्शिता और दृढ़ता के कारण ही रियासतों का शांतिपूर्ण विलय संभव हो पाया, जिससे भारत का वर्तमान भौगोलिक स्वरूप तैयार हुआ।
चुनौतियों का सामना: तीन बड़ी रियासतें
कुछ रियासतें ऐसी थीं जिन्होंने आसानी से भारत में विलय स्वीकार नहीं किया। सरदार पटेल ने इन बड़ी चुनौतियों का भी डटकर सामना किया:
- हैदराबाद: मुस्लिम शासक (निजाम) भारत में शामिल होने को तैयार नहीं थे। पटेल ने पुलिस कार्रवाई (‘ऑपरेशन पोलो’) का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप 1948 में यह रियासत भारतीय संघ में शामिल हुई।
- जूनागढ़: यह रियासत पाकिस्तान में शामिल होना चाहती थी, जबकि इसकी बहुसंख्यक आबादी भारत में विलय चाहती थी। पटेल ने हस्तक्षेप किया और जनमत संग्रह (Plebiscite) के माध्यम से इस रियासत का भारत में विलय कराया।
- जम्मू और कश्मीर: महाराजा हरि सिंह ने शुरू में स्वतंत्र रहने का फैसला किया। हालांकि, जब पाकिस्तानी समर्थित कबायलियों ने हमला किया, तो महाराजा ने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए। सरदार पटेल ने इस नाजुक मामले को राजनीतिक और सैन्य रूप से संभाला।
प्रशासनिक ढांचे का संगठन
रियासतों के एकीकरण के बाद, सरदार पटेल ने देश को एक मज़बूत प्रशासनिक ढांचे में संगठित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने “स्टेट्स रीऑर्गनाइजेशन कमेटी” की नींव रखी। उनके प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि भारत केवल एक भौगोलिक इकाई न हो, बल्कि एक सुसंगठित और प्रशासनिक रूप से मजबूत राष्ट्र बने।
सरदार पटेल का यह योगदान न केवल भारत को बाहरी खतरों से बचाया, बल्कि देश की आंतरिक विविधता को एकता के सूत्र में बांधकर ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की नींव भी रखी। उन्हें आधुनिक भारत का शिल्पकार कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी, जिनके बिना आज के भारत की कल्पना भी असंभव है।

