कांग्रेस के पूर्व सैनिक विभाग के चेयरमैन कर्नल (सेवानिवृत्त) रोहित चौधरी अग्निपथ योजना पर लंबे समय से सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि चार साल की सेवा के बाद केवल 25% अग्निवीरों को रेगुलर किया जाएगा, जबकि बाकी 75% को निजी सुरक्षा एजेंसियों (जैसे अडानी समूह की कंपनियों) में “प्राइवेट आर्मी” या “दरबान” के रूप में काम करना पड़ेगा। यह आरोप सरकार द्वारा अग्निवीरों को नौकरी के लिए प्रोत्साहन देने के लिए निजी कंपनियों को आरक्षण देने की घोषणा के संदर्भ में लगाया गया है। अग्निवीर अब अडानी डिफेंस के अंदर जाएंगे और वहाँ जाकर एक प्राइवेट आर्मी की तरह काम करेंगे’ और ‘बाकी अग्निवीर वापस लौटकर बीजेपी दफ्तर या किसी कंपनी के बाहर दरबान की नौकरी करेंगे’।
देश की सुरक्षा से खिलवाड़
उनका मानना है कि यह योजना सैनिकों के मनोबल को कम करती है और सेना की दीर्घकालिक क्षमता को नुकसान पहुँचाकर देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने यह मुद्दा भी उठाया है कि शहीद अग्निवीरों को नियमित सैनिकों के बराबर शहीद का दर्जा और मुआवजा नहीं मिलता है।
सरकार की योजना और घोषणाएँ:
सरकार ने स्पष्ट किया है कि 75% अग्निवीरों को सेना से बाहर होने के बाद केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), असम राइफल्स, और विभिन्न राज्यों की पुलिस सेवाओं में भर्ती के लिए प्राथमिकता और आरक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा, कॉर्पोरेट मंत्रालय ने भी विभिन्न निजी कंपनियों को अग्निवीरों को नौकरी देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अधिसूचना जारी की है। हालांकि, कर्नल चौधरी जैसे विरोधी इस कदम को सैन्य प्रशिक्षण का निजीकरण करने और उन्हें गार्ड की नौकरी देने के रूप में देखते हैं।


