सैटेलाइट इमेजरी के विश्लेषण से पता चला है कि चीन ने तिब्बत के गोलमुड क्षेत्र में अपनी सैन्य गतिविधियों का विस्तार किया है और वहाँ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स (PLARF) के तहत एक नई मिसाइल ब्रिगेड स्थापित की है। इस निर्माण से क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं।
मुख्य बिंदु:
- रणनीतिक महत्व: यह नया सैन्य परिसर किंगहाई-तिब्बत पठार की ऊंचाई पर स्थित है, जो इसे दक्षिण और मध्य एशिया में लंबी दूरी की मिसाइलें लॉन्च करने के लिए एक रणनीतिक लाभ पहुँचाता है।
- नए निर्माण: नए सैन्य परिसर में कई लॉन्च पैड, उच्च सुरक्षा शेल्टर और परिवहन-लॉन्चर (TEL) के लिए सहायक संरचनाएं शामिल हैं।
- मिसाइल तैनाती: बेस में DF-26 मिसाइल तैनात होने की संभावना है। इस मिसाइल को ‘गुआम किलर’ भी कहा जाता है, जिसकी रेंज लगभग 4,000 किमी है और यह परमाणु तथा पारंपरिक दोनों प्रकार के वारहेड्स से लैस हो सकती है। यह चीन की पहली ऐसी मिसाइल है जो अमेरिकी सैन्य ठिकानों को भी निशाना बना सकती है।
- बढ़ता खतरा: विशेषज्ञों के अनुसार, चीन का यह कदम उसकी परमाणु और पारंपरिक मिसाइल क्षमताओं के आधुनिकीकरण का हिस्सा है। यह विस्तार न केवल भारत के लिए, बल्कि ताइवान और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमेरिकी हितों के लिए भी एक सुरक्षा चुनौती है, जिससे पूरे एशिया में स्थिरता को खतरा पैदा हो रहा है।
- परमाणु क्षमता: अमेरिका के रक्षा विभाग की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, चीन 2030 तक 1,000 परमाणु वारहेड तक पहुंचने की योजना बना रहा है।
- गतिशीलता (Mobility): सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि बेस में रोड-मोबाइल मिसाइल ब्रिगेड के लिए विशिष्ट, कई जुड़ी हुई लॉन्च ज़ोन हैं, जो बेस की गतिशीलता और सुसंगतता को बढ़ाती हैं।
चीन का यह कदम तिब्बत के पठार को एक सैन्य लॉन्चपैड में बदल रहा है।


