बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्षी महागठबंधन (INDIA गठबंधन) में सीटों के बंटवारे को लेकर भारी अव्यवस्था देखने को मिली है। एक चौंकाने वाले घटनाक्रम में, गठबंधन के घटक दल बिना किसी अंतिम सीट-बंटवारे समझौते पर पहुँचे ही चुनाव मैदान में उतर गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, महागठबंधन में शामिल मुख्य पार्टियां – राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) – ने मिलकर राज्य की कुल 243 विधानसभा सीटों पर 254 उम्मीदवार उतार दिए हैं। यह स्थिति स्पष्ट करती है कि गठबंधन में शामिल कई दल एक-दूसरे के खिलाफ ही उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं।
11 सीटों पर ‘मैत्रीपूर्ण मुकाबला’: सीटों की खींचतान और समन्वय की कमी के चलते, कम से कम 11 सीटें ऐसी हैं, जहाँ महागठबंधन के घटक दल आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। गठबंधन इसे ‘फ्रेंडली फाइट’ (मैत्रीपूर्ण मुकाबला) का नाम दे रहा है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे विपक्षी एकता में आई गहरी दरार के रूप में देख रहे हैं।
RJD और कांग्रेस में सबसे ज्यादा टकराव: महागठबंधन के दो सबसे बड़े दल, राजद और कांग्रेस, कई सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं। इसके अलावा, मुकेश सहनी की VIP भी कुछ ऐसी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है, जहाँ राजद या कांग्रेस पहले से ही चुनाव लड़ रही है।
वीआईपी पार्टी को लेकर विवाद तब और बढ़ गया जब यह बात सामने आई कि राजद के उम्मीदवार ने मुकेश सहनी की पसंदीदा सीट पर नामांकन वापस नहीं लिया, जैसा कि पहले अनुमान लगाया जा रहा था। इस तरह की घटनाएँ साफ संकेत देती हैं कि शीर्ष नेतृत्व के बीच समन्वय की भारी कमी है, जिसका सीधा असर जमीनी स्तर पर पड़ रहा है।
अव्यवस्था के मायने: सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिए बिना ही चुनाव में उतरना महागठबंधन की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है। एनडीए (NDA) गठबंधन पहले ही इसे विपक्षी एकता की विफलता बताकर हमलावर हो चुका है। गठबंधन में यह आपसी घमासान ऐसे समय में सामने आया है जब चुनाव प्रचार जोरों पर है, और इसका सीधा फायदा एनडीए को मिल सकता है। महागठबंधन में चल रहे इस ‘अंतर-पार्टी संघर्ष’ ने बिहार के सियासी माहौल को और भी दिलचस्प बना दिया है, जहाँ कई सीटों पर ‘अपनों’ के बीच ही कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी।