दीपावली के जश्न के बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली-एनसीआर की हवा एक बार फिर ‘दमघोंटू’ हो गई है। बड़े पैमाने पर हुई आतिशबाजी और मौसम संबंधी कारकों के चलते दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 500 के आंकड़े को पार कर गया है, जिससे क्षेत्र ‘गैस चैंबर’ में तब्दील हो गया है। कई इलाकों में तो यह 500 से भी अधिक, ‘गंभीर’ श्रेणी के चरम पर या उससे ऊपर दर्ज किया गया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार, नरेला और वजीरपुर जैसे इलाकों में प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक रहा। हवा में ज़हरीले कणों (PM2.5 और PM10) की मात्रा बढ़ने से लोगों को सांस लेने में भारी तकलीफ हो रही है। प्रदूषण के कारण आंखों में जलन, गले में खराश और सिरदर्द की शिकायतें आम हो गई हैं, जिससे जनस्वास्थ्य संकट गहरा गया है।
इस खतरनाक स्थिति को देखते हुए, पहले ही ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरण लागू किए जा चुके हैं। विशेषज्ञों ने खासकर अस्थमा और श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को घर के अंदर रहने, बाहर निकलने पर N95 मास्क पहनने और प्रदूषण के सीधे संपर्क से बचने की सलाह दी है। यह वार्षिक प्रदूषण चक्र न केवल पर्यावरण का मुद्दा है, बल्कि एक गंभीर जनस्वास्थ्य संकट बन गया है, जिसके लिए सामूहिक और प्रभावी उपायों की तत्काल आवश्यकता है।