रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार (14 अक्टूबर) को नई दिल्ली में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सैन्य योगदान देने वाले देशों (UNTCC) के प्रमुखों के सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने बिना नाम लिए चीन और पाकिस्तान जैसे देशों को अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन पर कड़ा संदेश दिया।
शांति स्थापना पर भारत की प्रतिबद्धता राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत के लिए, शांति स्थापना हमेशा से एक आस्था का विषय रही है, न कि केवल एक विकल्प। उन्होंने ज़ोर दिया कि भारत आज़ादी के आरंभ से ही अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के संयुक्त राष्ट्र के मिशन में मजबूती से खड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि शांति स्थापना एक सैन्य मिशन से कहीं बढ़कर एक साझा जिम्मेदारी है, जो मानवता को बनाए रखने की याद दिलाती है।
अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन पर निशाना रक्षा मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। इशारों में उन देशों पर निशाना साधते हुए जो क्षेत्रीय विवादों में शामिल हैं, उन्होंने कहा:
“आजकल, कुछ देश खुलेआम अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, कुछ उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि कुछ अपने नियम बनाकर अगली सदी पर अपना दबदबा बनाना चाहते हैं। इन सबके बीच भारत पुरानी अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं में सुधार की वकालत करते हुए अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था को मजबूती से कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध है।”
संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारत का योगदान राजनाथ सिंह ने संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में भारत के महत्वपूर्ण योगदान का भी उल्लेख किया:
- पिछले दशकों में, लगभग 2,90,000 भारतीय कर्मियों ने 50 से अधिक संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों में सेवा की है।
- भारत के 180 से अधिक शांति सैनिकों ने संयुक्त राष्ट्र के झंडे तले अपने प्राणों की आहुति दी है।
यह सम्मेलन 14 अक्तूबर से 16 अक्तूबर तक चलेगा, जिसमें 32 देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भाग ले रहे हैं। थल सेना प्रमुख ने भी भारत को शांति स्थापना में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक बताया।