मिस्र की राजधानी शर्म अल-शेख में गाजा शांति को लेकर आयोजित विश्व नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शामिल न होकर दुनिया को एक बड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है। पीएम मोदी को मिस्र की ओर से निमंत्रण भेजा गया था, लेकिन उनकी अनुपस्थिति को जानबूझकर पाकिस्तान के साथ बराबरी का मंच साझा न करने की नीति के रूप में देखा जा रहा है।
सम्मेलन से पीएम मोदी की दूरी का कारण पीएम मोदी का इस समिट में शामिल न होने का मुख्य कारण पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ का इसमें मौजूद होना माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह समिट गाजा शांति पर केंद्रित थी और इसमें आतंकवाद की खुलकर निंदा का कोई एजेंडा नहीं था। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह ऐसे किसी मंच को पाकिस्तान के साथ साझा नहीं करेगा, जहां आतंकवाद पर कठोर रुख न अपनाया जाए। भारत की ओर से केवल केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह को भेजा गया था।
पाकिस्तानी पीएम ने किया ट्रंप का गुणगान शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफों के पुल बाँधते रहे। शरीफ़ ने कहा कि ट्रंप ने ही भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम (सीजफायर) करवाया था और उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए।
ट्रंप ने शहबाज़ के सामने की पीएम मोदी की तारीफ़ शहबाज़ शरीफ़ के गुणगान के तुरंत बाद जब ट्रंप ने बोलना शुरू किया, तो उन्होंने एक तरह से पाकिस्तान को नसीहत दे डाली और खुलकर प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की।
ट्रंप ने कहा, “भारत एक महान देश है, जिसके शीर्ष पर मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने (पीएम मोदी) शानदार काम किया है।”
यह तारीफ़ तब की गई, जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ उनके ठीक पीछे खड़े थे। ट्रंप ने मोदी की प्रशंसा करने के बाद शहबाज़ शरीफ़ की ओर देखा और कहा, “मुझे लगता है कि भारत और पाकिस्तान बहुत अच्छे से साथ रहेंगे… है ना?” इस पर शहबाज़ शरीफ़ मुस्कुराए और सहमति में सिर हिलाया।
भारत के इस सम्मेलन से दूर रहने और ट्रंप द्वारा सार्वजनिक रूप से पीएम मोदी की तारीफ़ ने दुनिया को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि भारत को पाकिस्तान के साथ बराबरी के मंच या अमेरिका की जी-हुजूरी की परवाह नहीं है, बल्कि उसकी प्राथमिकता आतंकवाद के मुद्दे पर स्पष्टता है।