कर्नाटक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की गतिविधियों को सरकारी और सार्वजनिक परिसरों में प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने इस मुद्दे की समीक्षा के लिए आदेश जारी किए हैं।
मंत्री प्रियांक खरगे की मांग राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री प्रियांक खरगे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सरकारी स्थानों पर RSS की गतिविधियों पर सख्ती से रोक लगाने का आग्रह किया था। खरगे ने आरोप लगाया कि RSS सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थानों का उपयोग अपनी शाखाएं चलाने और बच्चों व युवाओं के मन में नकारात्मक विचार भरने के लिए कर रहा है। उन्होंने RSS को ‘दुनिया का सबसे गुप्त संगठन’ बताया, जिसने पंजीकरण नहीं कराया है, फिर भी उसे करोड़ों का फंड मिलता है।
सीएम सिद्दारमैया का बयान मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने मंत्री खरगे की मांग पर कार्रवाई करते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिवों को इस मुद्दे की पूरी समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार सरकारी भवनों और सार्वजनिक संपत्तियों का इस्तेमाल किसी भी संगठन को राजनीतिक या वैचारिक कार्यक्रमों के लिए करने की अनुमति नहीं देगी।
तमिलनाडु मॉडल लागू करने की तैयारी सिद्दारमैया ने कहा कि उनकी सरकार तमिलनाडु की तर्ज पर कर्नाटक में भी RSS की गतिविधियों पर रोक लगाने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। उन्होंने कहा, “जैसे तमिलनाडु में रोक लगाई गई है, वैसे ही कर्नाटक में भी इसे रोका जाएगा।” इसके लिए कानूनी प्रक्रिया और प्रशासनिक आदेशों की समीक्षा की जा रही है।
प्रियांक खरगे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए यह भी कहा, “भाजपा RSS की कठपुतली है।” इस विवाद ने कर्नाटक की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है।