मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में ज़हरीला कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ पीने से 14 मासूम बच्चों की मौत हो गई है। इस त्रासदी ने न सिर्फ सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि शासन और प्रशासन के कई स्तरों पर हुई लापरवाही को भी उजागर किया है। सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए कफ सिरप को बैन कर दिया है और शिशुओं के उपचार में लापरवाही बरतने के आरोप में परासिया के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी को निलंबित कर दिया है।
बच्चों की मौत के लिए निम्नलिखित 5 बड़ी गलतियाँ सामने आई हैं:
1. रिपोर्ट आने में अत्यधिक देरी
बच्चों की किडनी फेल होने का कारण ज़हरीला ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप था।
- यह रिपोर्ट आने में चार से पाँच दिन का समय लगा।
- 29 सितंबर को छिंदवाड़ा में दवा बैन हुई, लेकिन रिपोर्ट 4 अक्टूबर को मिली, जिसके बाद इसे पूरे राज्य में बैन किया गया।
- रिपोर्ट आने तक यह ज़हरीली दवा मेडिकल स्टोर्स पर धड़ल्ले से बिकती रही, जिससे और बच्चों को खतरा हुआ।
2. सरकारी डॉक्टर का प्राइवेट क्लिनिक से ‘ज़हर’ बांटना
परासिया सिविल अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी पर सबसे बड़ा आरोप है।
- बायोप्सी रिपोर्ट में मौत का कारण सामने आने के बाद भी, डॉ. सोनी कथित तौर पर अपने निजी क्लिनिक में बच्चों को यही ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप दवा में लिखते रहे।
- जानकारी के अनुसार, डॉक्टर की पत्नी के मेडिकल स्टोर पर यह दवा बिना रोक-टोक बिक रही थी।
3. कफ सिरप में विषैले पदार्थ की अति-उच्च मात्रा
जांच में सामने आया कि कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकोल (एक विषैला पदार्थ) की मात्रा निर्धारित सीमा से 480 गुना ज्यादा थी।
- निर्धारित मात्रा: 0.10 प्रतिशत तक।
- जांच में पाई गई मात्रा: 48 प्रतिशत।
- इतनी अधिक विषैली मात्रा होने के बावजूद, यह सिरप बच्चों के लिए धड़ल्ले से लिखा गया।
4. प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही
मौतें एक के बाद एक हो रही थीं, लेकिन प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई।
- 2 सितंबर को पहले बच्चे (4 वर्षीय शिवम) की मौत को सामान्य घटना मान लिया गया।
- जब 15 दिन के भीतर 6 बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हुई, तब जाकर प्रशासन जागा और बच्चों के लिए अलग वार्ड बनाया गया।
- मौतों का पैटर्न एक जैसा होने के बावजूद, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुरू में मामले को गंभीरता से नहीं लिया।
5. बच्चों का पोस्टमार्टम न होना (परिजनों का आरोप)
परिजनों ने आरोप लगाया कि कुछ बच्चों की मौत के बाद अस्पताल ने पोस्टमार्टम के लिए नहीं कहा।
- 1 अक्टूबर को संध्या भोसम की मौत के बाद परिजनों ने कहा कि किसी ने पोस्टमार्टम के लिए नहीं कहा।
- हालांकि प्रशासन ने दावा किया कि परिजनों ने पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया था, लेकिन शुरुआती जाँच की कमी इस गंभीर मामले में एक बड़ी लापरवाही साबित हुई।