वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जब वैश्विक अर्थव्यवस्था संरचनात्मक बदलावों और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, तब भी भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति मजबूत है और यह किसी भी बाहरी झटके को झेलने में पूरी तरह सक्षम है।
कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन 2025 में ‘अशांत समय में समृद्धि की तलाश’ विषय पर बोलते हुए, वित्त मंत्री ने भू-राजनीतिक संघर्षों, प्रतिबंधों और टैरिफ जैसी चुनौतियों पर बात की। उन्होंने कहा कि ये रणनीतियाँ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को नया आकार दे रही हैं, जो भारत के लिए जहाँ चिंताजनक हैं, वहीं हमारी जुझारूपन (Resilience) को भी उजागर करती हैं।
वैश्विक बदलाव और नए गठबंधन
वित्त मंत्री ने मौजूदा वैश्विक स्थिति को अस्थायी बाधा मानने के बजाय संरचनात्मक बदलाव बताया। उन्होंने कहा कि:
- युद्ध और रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण सहयोग और संघर्ष की परिभाषाएँ बदल रही हैं।
- जो पुराने गठबंधन मजबूत दिखते थे, उनके लिए यह परीक्षा का समय है।
- दुनिया में नए गठबंधन उभर रहे हैं।
- देशों को अनिश्चितता, और व्यापार, वित्त तथा ऊर्जा असंतुलन जैसी बड़ी चुनौतियों से एक साथ निपटना है।
घरेलू कारकों पर टिका भारत का विकास
निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था की तारीफ करते हुए कहा कि यह लचीली है और लगातार बढ़ रही है। उन्होंने इस मजबूती का श्रेय घरेलू कारकों को दिया।
- वित्त मंत्री के अनुसार, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में उपभोग और निवेश की स्थिर हिस्सेदारी होने के कारण, भारत का विकास बाहरी प्रभावों से कम प्रभावित होता है।
- उन्होंने जोर देकर कहा, “भारत का उदय न तो आकस्मिक है और न ही क्षणिक; बल्कि, यह कई कारकों के एक मजबूत संयोजन का परिणाम है।”
वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए हैं। सीतारमण ने स्पष्ट किया कि भारत की आर्थिक क्षमता मजबूत है और वह वैश्विक झटकों को अवशोषित करने में सक्षम है।