राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने संगठन के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। इस उपलक्ष्य में, #Vijayadashami2025 के अवसर पर आयोजित समारोह में पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हिस्सा लिया।
मोहन भागवत का संबोधन
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस अवसर पर विभिन्न राष्ट्रीय विभूतियों को याद किया और उनके योगदान पर प्रकाश डाला:
- गुरु तेग बहादुर जी: उन्होंने इस वर्ष को गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान का साढ़े तीन सौ वर्ष बताया। भागवत ने कहा कि उन्होंने “अत्याचार, अन्याय और सांप्रदायिक भेदभाव से समाज की मुक्ति के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।”
- महात्मा गांधी: 2 अक्टूबर को स्वर्गीय महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर, भागवत ने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने महात्मा गांधी को स्वतंत्रता के बाद भारत कैसा हो, इस बारे में विचार देने वाले अग्रणी दार्शनिक नेताओं में स्थान दिया।
- लाल बहादुर शास्त्री: उन्होंने स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री को भी याद किया, जिनकी जयंती भी 2 अक्टूबर को होती है, और उन्हें “भक्ति, देश सेवा के उत्तम उदाहरण” बताया।
राम नाथ कोविंद का वक्तव्य
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने आरएसएस के सामाजिक समरसता के प्रयासों और महात्मा गांधी पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया:
- गांधी जी की प्रशंसा: कोविंद ने कहा कि “संघ में व्याप्त समरसता और समानता तथा जाति भेद से पूरी तरह मुक्त व्यवहार को देखकर महात्मा गांधी भी बहुत प्रभावित हुए थे।” उन्होंने इस बात का विस्तृत विवरण संपूर्ण गांधी वांग्मय में मिलने की बात कही।
- आरएसएस रैली में संबोधन: उन्होंने बताया कि गांधी जी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की रैली को संबोधित किया था।
- संस्थापक से मुलाकात: कोविंद ने आगे कहा कि गांधी जी, संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार के जीवनकाल में भी संघ के शिविर में गए थे और वह शिविर के अनुशासन, सादगी और छुआछूत की पूर्ण समाप्ति को देखकर अत्यंत प्रभावित हुए थे।