More
    HomeHindi NewsHaryanaहरियाणा कांग्रेस: जाट-दलित फैक्टर से किनारा और हुड्डा का दबदबा.. 48 साल...

    हरियाणा कांग्रेस: जाट-दलित फैक्टर से किनारा और हुड्डा का दबदबा.. 48 साल बाद अहीरवाल को कमान

    हरियाणा कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए 48 साल बाद अहीरवाल क्षेत्र को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है। पार्टी ने राव नरेंद्र सिंह को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर से नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। यह फैसला कांग्रेस के पारंपरिक जाट-दलित समीकरण से किनारा कर, अब जाट-ओबीसी गठजोड़ पर ध्यान केंद्रित करने की नई रणनीति का हिस्सा है।


    जाट-दलित फैक्टर से किनारा क्यों?

    कांग्रेस ने पिछले 18 वर्षों से प्रदेश अध्यक्ष की कमान लगातार दलित चेहरों (जैसे फूलचंद मुलाना, अशोक तंवर, कुमारी सैलजा और चौधरी उदयभान) को सौंप रखी थी, जबकि सत्ता की बागडोर जाट नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पास थी।

    • रणनीति में बदलाव: लगातार तीन विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस को लगा कि जाट और दलित की पुरानी सियासी केमिस्ट्री अपेक्षित परिणाम नहीं दे रही है।
    • ओबीसी वोट साधने का प्रयास: हरियाणा में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की सबसे बड़ी आबादी यादव समाज की है, जिसका प्रभुत्व अहीरवाल बेल्ट में है। राव नरेंद्र सिंह के रूप में ओबीसी चेहरे को आगे लाकर कांग्रेस अति पिछड़े वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है।
    • भाजपा के गढ़ में सेंध: अहीरवाल बेल्ट (रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम) में केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत के 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से पार्टी का आधार कमजोर हुआ है। कांग्रेस इस क्षेत्र में भाजपा के गढ़ में सेंध लगाना चाहती है।

    क्यों कायम है भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा?

    संगठन में यह बड़ा बदलाव होने के बावजूद, कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दबदबा कायम रहा और उन्हें फिर से नेता प्रतिपक्ष बनाया गया।

    • जाट समुदाय का कोर वोटबैंक: हुड्डा जाट समुदाय से आते हैं, जो हरियाणा में कांग्रेस का कोर वोटबैंक माना जाता है और करीब 35 सीटों पर निर्णायक भूमिका में है। जाट समाज को नाराज़ करके कांग्रेस हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकती।
    • गैर-जाटों में भी पकड़: हुड्डा की पकड़ सिर्फ जाट समाज में ही नहीं, बल्कि गैर-जाटों में भी मजबूत मानी जाती है।
    • हाईकमान का भरोसा: विधानसभा चुनाव में हुड्डा ही कांग्रेस के अघोषित सीएम फेस थे और उनके समर्थक बड़ी संख्या में जीतकर आए थे। ऑब्जर्वरों की रिपोर्ट में भी उन्हें ही नेता प्रतिपक्ष बनाए रखने की बात सामने आई थी।
    • सियासी तालमेल: राव नरेंद्र सिंह को अध्यक्ष बनाकर हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाए रखने से जाट-ओबीसी के बीच बेहतर सियासी तालमेल बनाने की कोशिश की गई है। राव नरेंद्र सिंह को किसी एक गुट का नहीं माना जाता, लेकिन उन्होंने हुड्डा के साथ बेहतर तालमेल बनाए रखा है।

    यह नई रणनीति, जाट-ओबीसी गठजोड़ पर आधारित है, जिसका उद्देश्य हुड्डा के प्रभाव को बनाए रखते हुए राज्य के कमजोर क्षेत्रों में पार्टी की पैठ बढ़ाना है।

    RELATED ARTICLES

    Most Popular

    Recent Comments