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    ‘120 बहादुर’ का टीज़र जारी, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ से दी श्रद्धांजलि

    दिवंगत ‘स्वर कोकिला’ लता मंगेशकर की जयंती (28 सितंबर) के अवसर पर, फ़िल्म ‘१२० बहादुर’ (120 Brave) के मेकर्स ने दूसरा टीज़र जारी कर उन्हें एक विशेष श्रद्धांजलि दी है। इस युद्ध-नाटकीय फ़िल्म के टीज़र में लता मंगेशकर के आइकॉनिक गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की अमर धुन को पिरोया गया है।


    फ़रहान अख़्तर ने साझा किया टीज़र

    अभिनेता और निर्माता फरहान अख्तर ने रविवार को अपने इंस्टाग्राम पर ‘१२० बहादुर’ का दूसरा टीज़र साझा किया। उन्होंने कैप्शन में “पराक्रम, देशभक्ति, बलिदान” का उल्लेख करते हुए रेज़ांग ला, 1962 के वीरों के शौर्य और बलिदान को याद किया। यह फ़िल्म 21 नवंबर को सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।

    टीज़र में युद्ध और देशभक्ति का संदेश

    टीज़र की शुरुआत युद्ध के मैदान में गोलियों से घायल होते सैनिकों के दृश्यों से होती है, जिसके बैकग्राउंड में ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन बजती है। टीज़र में फ़रहान अख़्तर की आवाज़ भी है, जहाँ वह सैनिकों को प्रेरित करते हुए कहते हैं:

    “तुम सब किसान के बेटे हो, जिंदगी भर अपने बाप-दादाओं को लड़ते देखा है… और यहां बात सिर्फ जमीन की नहीं हमारे सरजमीन की है।”

    यह फ़िल्म 1962 के भारत-चीन युद्ध की सच्ची घटनाओं पर आधारित है और इसमें फ़रहान अख़्तर मेजर शैतान सिंह भाटी की भूमिका निभा रहे हैं। यह कहानी लद्दाख में फिल्माई गई है, जहाँ मेजर भाटी ने अपनी 13 कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों के साथ मिलकर दुश्मन सेना का बहादुरी से सामना किया था।

    ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गीत का लेखन कवि प्रदीप ने किया था और इसे संगीतबद्ध सी. रामचंद्र ने किया था। दशकों बाद भी, यह गीत बलिदान और वीरता के रूप में पीढ़ियों तक गूंजता रहता है, और फ़िल्म ‘१२० बहादुर’ इसी सार को पर्दे पर जीवंत करने का प्रयास है।

    1962 का भारत-चीन युद्ध: मुख्य कारण और परिणाम

    1962 का भारत-चीन युद्ध मुख्य रूप से दो प्रमुख क्षेत्रों—उत्तर भारत में लद्दाख के पास अक्साई चीन और उत्तर-पूर्व में अरुणाचल प्रदेश की सीमाओं की अनिश्चितता के कारण हुआ था।


    युद्ध के मुख्य कारण

    • सीमा विवाद: अक्साई चीन क्षेत्र, जिस पर भारत अपना दावा करता था, से होकर चीन द्वारा सड़क निर्माण किए जाने से दोनों देशों के बीच तनाव अत्यधिक बढ़ गया।
    • कूटनीतिक विफलता: तनाव कम करने के लिए हुई सभी कूटनीतिक वार्ताएँ विफल रहीं।
    • चीन का आक्रमण: परिणामस्वरूप, अक्टूबर 1962 में चीनी सेना ने दोनों मोर्चों पर एक साथ दोतरफा आक्रमण शुरू कर दिया।

    भारत की हार के कारण

    इस युद्ध में भारत को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा, जिसके मुख्य कारण थे:

    • तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की वायुसेना के इस्तेमाल से हिचकिचाहट
    • सीमावर्ती क्षेत्रों में सैन्य बुनियादी ढांचे की कमी
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