न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान, भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने BRICS देशों के विदेश मंत्रियों की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ और संरक्षणवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका सीधा असर भारत सहित कई देशों पर पड़ रहा है।
बहुपक्षवाद और शांति पर BRICS की भूमिका
विदेश मंत्री जयशंकर ने वैश्विक मामलों में BRICS की भूमिका को एक स्थिर शक्ति और बहुपक्षवाद को मजबूत करने वाले प्रमुख मंच के रूप में रेखांकित किया।
- तार्किक आवाज: उन्होंने कहा कि “जब बहुपक्षवाद (Multilateralism) दबाव में है, तब BRICS ने हमेशा एक ‘तार्किक आवाज’ और ‘संरचनात्मक बदलाव’ की ताकत बनकर काम किया है।”
- शांति और कानून: जयशंकर ने दुनिया के अस्थिर माहौल पर चिंता जताते हुए जोर दिया कि BRICS को शांति निर्माण, संवाद और कूटनीति के संदेश को मजबूती से आगे बढ़ाना होगा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था पर टिके रहने की अपील की।
UN सुधार और आर्थिक चुनौतियां
बैठक के दौरान भारत ने संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में सुधार की अपनी मांग को फिर से दोहराया।
- UNSC में सुधार: जयशंकर ने स्पष्ट कहा कि अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) सहित संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंगों में व्यापक सुधार किए जाएं। उन्होंने BRICS से सामूहिक रूप से अपनी आवाज़ बुलंद करने की अपील की।
- संरक्षणवाद पर निशाना: आर्थिक मुद्दों पर बोलते हुए, जयशंकर ने बढ़ते संरक्षणवाद, टैरिफ अस्थिरता और नॉन-टैरिफ बाधाओं का सामना कर रहे BRICS देशों की जिम्मेदारी बताई। उन्होंने कहा कि BRICS देशों को बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था (Multilateral Trading System) का बचाव करना चाहिए।
जयशंकर का यह बयान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका ने भारत पर 50% तक के उच्च टैरिफ लगा रखे हैं।
भारत की अध्यक्षता और प्राथमिकताएं
जयशंकर ने कहा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान फोकस खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास पर रहेगा। उन्होंने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन को BRICS सहयोग के अगले चरण की कुंजी बताया।
- प्राथमिकताएं: भारत की प्राथमिकता डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, स्टार्टअप्स, नवाचार और विकास साझेदारी को मजबूत बनाना होगी।