पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच का एक बार फिर इस्तेमाल भारत के खिलाफ जहर उगलने के लिए किया। शुक्रवार को अपने संबोधन में उन्होंने सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई और अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया।
सिंधु जल संधि पर ‘युद्ध की गीदड़भभकी’
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने के फैसले पर शहबाज़ शरीफ ने युद्ध की गीदड़भभकी दी।
- आरोप: शरीफ ने कहा कि भारत का यह एकतरफा और अवैध प्रयास न केवल संधि के प्रावधानों, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून के मानदंडों का भी उल्लंघन करता है।
- धमकी: उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान इस पानी पर अपने लोगों के अधिकारों की रक्षा करेगा और “संधि का कोई भी उल्लंघन युद्ध की कार्रवाई है।”
भारत ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद संधि को स्थगित किया था। यह हमला द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF), जो कि पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है, ने किया था। भारत ने स्पष्ट किया था कि “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते।”
भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान की इस बयानबाजी को आतंकवाद के लिए जवाबदेही से बचने का एक हताश प्रयास बताया है।
कश्मीर और सैन्य संघर्ष पर दावे
सिंधु जल संधि के अलावा, शहबाज़ शरीफ ने अपने संबोधन में कश्मीर का मुद्दा भी उठाया।
- कश्मीर पर ज़हर: उन्होंने कहा कि वह कश्मीरी लोगों के साथ हैं और जल्द ही कश्मीर में “भारत का अत्याचार रुक जाएगा।”
- सैन्य टकराव: शरीफ ने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष का जिक्र करते हुए झूठा दावा किया कि पाकिस्तान ने भारत के 7 फाइटर जेट मार गिराए।
- खुद की पीठ थपथपाई: यह दावा पाकिस्तान द्वारा लगातार इसलिए किया जा रहा है ताकि वह अपनी सैन्य बेइज्जती छिपा सके, जब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचाया था।
- अमेरिका को धन्यवाद: उन्होंने युद्धविराम के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को धन्यवाद दिया और इसका श्रेय उन्हें दिया, हालांकि भारत ने इस दावे को बार-बार खारिज किया है कि युद्धविराम में किसी तीसरे देश की भूमिका थी।