जीएसटी सुधारों के तहत नई दरें लागू होने के बाद भी, आम लोगों को कुछ खाने-पीने के सामानों पर राहत नहीं मिल पा रही है। दरअसल, कुछ कंपनियों ने इन उत्पादों के दाम कम करने के बजाय, उनका वजन बढ़ा दिया है, जिससे ग्राहकों को सीधे तौर पर कोई लाभ नहीं हो रहा।
क्या हैं नए जीएसटी सुधार?
22 सितंबर से लागू हुई नई दरों के तहत, सरकार ने जीएसटी के 5% और 18% स्लैब को छोड़कर बाकी स्लैब खत्म कर दिए हैं। इससे कई सामानों के दाम कम होने की उम्मीद थी। जिन वस्तुओं पर पहले 12% जीएसटी लगता था, जैसे कि पैकेज्ड घी, जूस, सॉस और नमकीन, अब उन पर 5% का स्लैब लागू हो गया है।
कंपनियों की नई चाल
ग्राहकों की शिकायत है कि जीएसटी में कमी का फायदा उन्हें मिल ही नहीं रहा है। कंपनियां पुरानी एमआरपी पर ही सामान बेच रही हैं या फिर उन्होंने एक नई रणनीति अपनाई है: उत्पाद का वजन बढ़ा देना, लेकिन कीमत वही रखना। उदाहरण के लिए, एक केक का दाम पहले 20 रुपये था और उसका वजन 44 ग्राम था। अब उसी केक का दाम 20 रुपये ही है, लेकिन वजन बढ़ाकर 50 ग्राम कर दिया गया है। इससे ग्राहक को लगता है कि उसे ज्यादा उत्पाद मिल रहा है, लेकिन दाम कम होने का सीधा फायदा नहीं मिल रहा।
साइकिल और खिलौना कारोबारियों का हाल
जहां एक ओर खाने-पीने की चीजों में यह समस्या है, वहीं कुछ अन्य सेक्टरों में राहत मिली है। साइकिल के दामों में 7% की गिरावट आई है और उन्हें अब नए रेट पर बेचा जा रहा है।
हालांकि, खिलौना कारोबारी सरकार के इस फैसले से परेशान हैं। खिलौने पर अगर म्यूजिक हॉर्न लगा है, तो उस पर अब 12% की बजाय 18% जीएसटी लग रहा है। इससे ऐसे म्यूजिकल खिलौने महंगे हो जाएंगे। खिलौना संगठनों ने इस फैसले का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा है। उनका मानना है कि यह कदम खिलौना उद्योग के लिए नुकसानदायक साबित होगा। इस स्थिति से ग्राहक और कारोबारी दोनों ही परेशान हैं। ग्राहकों को जहां जीएसटी रिफॉर्म का पूरा फायदा नहीं मिल रहा, वहीं कुछ सेक्टरों के कारोबारियों को नए नियमों से नुकसान हो रहा है।