न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रोबोवो सुबिआंतो के भाषण ने सबको चौंका दिया। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम बहुल देश के नेता ने अपने संबोधन का समापन हिंदू धर्म के ‘ओम शांति ओम’ के साथ किया, जिसकी हर जगह चर्चा हो रही है। उन्होंने ‘ओम स्वास्तिअस्तु’, नमो बुद्धाय और यहूदी अभिवादन ‘शालोम’ जैसे शब्दों का भी प्रयोग किया।
इजराइल के समर्थन में दिया ऐतिहासिक बयान
सुबिआंतो ने अपने भाषण में एक और बड़ा कदम उठाते हुए इजराइल को खुलकर समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि दुनिया को इजराइल के सुरक्षित जीवन जीने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वास्तविक शांति के लिए, “हमें इजराइल को भी मान्यता देनी चाहिए, उसका सम्मान करना चाहिए और उसकी सुरक्षा की गारंटी भी देनी चाहिए।”
इंडोनेशिया और इजराइल के बीच कोई राजनयिक संबंध नहीं हैं, इसलिए यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सुबिआंतो ने कहा कि इंडोनेशिया उसी दिन इजराइल को मान्यता देगा, जिस दिन यहूदी देश फलस्तीन को राष्ट्र के रूप में मान्यता देगा।
द्वि-राष्ट्र समाधान पर जोर
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने फलस्तीन मुद्दे के द्वि-राष्ट्र समाधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने जोर देकर कहा, “केवल इसी से शांति स्थापित होगी।” उन्होंने उन देशों की तारीफ की, जिन्होंने हाल ही में फलस्तीन को मान्यता दी है और इसे ‘इतिहास के सही पक्ष में उठाया गया कदम’ बताया।
गाजा में शांति सैनिक भेजने की पेशकश
सुबिआंतो ने गाजा में शांति स्थापित करने के लिए इंडोनेशियाई सैनिकों को भेजने की पेशकश भी की। उन्होंने कहा, “अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और यह महान सभा तय करती है, तो इंडोनेशिया गाजा में शांति सुनिश्चित करने के लिए अपने 20,000 से भी ज्यादा सैनिकों को तैनात करने के लिए तैयार है।” उन्होंने यह भी कहा कि इंडोनेशिया यूक्रेन, सूडान या लीबिया सहित अन्य संघर्ष वाले क्षेत्रों में भी शांति सैनिक भेजने को तैयार है।