कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि ‘चुनाव का चौकीदार जागता रहा, चोरी देखता रहा’, और चुनाव आयोग पर “वोट चोरी” के मुद्दे को लेकर हमला किया।
राहुल गांधी के आरोप
राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के एक 36-सेकंड के वीडियो को साझा करते हुए कहा, “सुबह 4 बजे उठो, 36 सेकंड में 2 वोटर मिटाओ, फिर सो जाओ – ऐसे भी हुई वोट चोरी!” उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर ‘वोट चोरों’ को बचाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक के अलंद में हुए मामले में कांग्रेस के उम्मीदवार ने धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने एफआईआर दर्ज की, लेकिन सीईसी ने सीआईडी जांच को रोक दिया।
राहुल गांधी ने यह भी दावा किया कि कर्नाटक सीआईडी ने पिछले 18 महीनों में 18 पत्र लिखकर सबूत मांगे, लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि महिलाओं, दलितों, ओबीसी और आदिवासी मतदाताओं के नाम जानबूझकर मतदाता सूची से हटाए गए।
चुनाव आयोग का खंडन
राहुल गांधी की प्रेस वार्ता के तुरंत बाद, चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी कर इन आरोपों को “गलत और भ्रामक” बताया। आयोग ने कहा कि किसी भी आम आदमी के वोट को ऑनलाइन नहीं हटाया जा सकता, और इसके लिए एक तय प्रक्रिया का पालन करना होता है। आयोग ने स्पष्ट किया कि बिना सुनवाई के किसी का भी नाम हटाना संभव नहीं है।
आयोग ने बताया कि कर्नाटक के अलंद में 2023 के विधानसभा चुनावों में कुछ मतों को हटाने के असफल प्रयास किए गए थे, जिसकी जांच के लिए चुनाव आयोग ने ही प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आयोग के सूत्रों के अनुसार, यह मामला 2023 का है और उस पर पहले ही कार्रवाई की जा चुकी है। उन्होंने राहुल गांधी के आरोपों को “मुख्य चुनाव आयुक्त की छवि खराब करने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास” बताया।
यह घटनाक्रम दर्शाता है कि राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच चल रहा टकराव अब एक नए स्तर पर पहुंच गया है, जिसमें ‘वोट चोरी’ के आरोप-प्रत्यारोप का मुद्दा केंद्र में है।