हैदराबाद लिबरेशन डे के अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हैदराबाद के लोगों को संबोधित करते हुए इस दिन के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 17 सितंबर का दिन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। राजनाथ सिंह ने कहा, “हम जिस हैदराबाद लिबरेशन डे की स्मृति को ताज़ा करने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं, वह हमारे इतिहास का एक निर्णायक और गौरवपूर्ण अध्याय है।” उन्होंने याद दिलाया कि 1947 में भारत को आजादी मिलने के बाद भी हैदराबाद का एक बड़ा हिस्सा भारत का हिस्सा नहीं था, जिससे देश कई टुकड़ों में बंटा हुआ था।
उन्होंने कहा कि यह सरदार वल्लभभाई पटेल की दूरदर्शिता, राजनीतिक परिपक्वता और कुशल रणनीति का ही परिणाम था कि हैदराबाद सहित कई रियासतों को शांतिपूर्ण तरीके से भारत में मिला लिया गया। रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत और भारत के लोग सदैव सरदार पटेल जी के ऋणी रहेंगे।” हैदराबाद लिबरेशन डे 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद रियासत के भारतीय संघ में विलय की याद में मनाया जाता है, जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो के तहत रियासत के निजाम के शासन को समाप्त कर दिया था।
भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो शुरू किया
1947 में जब भारत को आजादी मिली, तो हैदराबाद रियासत, जिसका नेतृत्व निजाम उस्मान अली खान कर रहे थे, भारत का हिस्सा नहीं बनना चाहती थी। यह स्थिति देश की एकता और अखंडता के लिए एक बड़ी चुनौती थी। हैदराबाद एक ऐसा इलाका था जो भौगोलिक रूप से भारत के केंद्र में था और अगर वह एक अलग देश बन जाता, तो यह भारत के दिल में एक ‘कैंसर’ की तरह होता, जैसा कि सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था। निजाम ने ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में शामिल होने या एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने की इच्छा जताई थी।
निजाम का शासन हैदराबाद की बहुसंख्यक हिंदू आबादी के लिए अत्याचारपूर्ण था। रजाकार कहे जाने वाले अर्धसैनिक बल, कासिम रिजवी के नेतृत्व में, हिंदुओं पर अत्याचार कर रहे थे और उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर कर रहे थे। उन्होंने भारतीय संघ में विलय का विरोध करने के लिए हिंसा और आतंक का सहारा लिया।
सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया। उन्होंने निजाम को शांतिपूर्ण तरीके से भारतीय संघ में शामिल होने के लिए कई बार मनाने की कोशिश की, लेकिन जब सभी प्रयास विफल हो गए और रजाकारों की हिंसा बढ़ गई, तो उन्होंने सैन्य कार्रवाई का फैसला किया। 13 सितंबर 1948 को, भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो शुरू किया। यह एक त्वरित और कुशल ऑपरेशन था। भारतीय सेना ने चार दिनों के भीतर, 17 सितंबर को, हैदराबाद पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया।
17 सितंबर 1948 को, निजाम ने आत्मसमर्पण कर दिया और हैदराबाद रियासत को भारत में मिला लिया गया। इस दिन को हैदराबाद लिबरेशन डे के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल एक रियासत के भारत में विलय का प्रतीक है, बल्कि यह सरदार पटेल की दूरदर्शिता, साहस और दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है, जिन्होंने भारत को एक अखंड राष्ट्र बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह दिन उन लाखों लोगों के लिए भी एक मुक्ति का दिन था जो निजाम और रजाकारों के अत्याचारों से पीड़ित थे।