भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) को लेकर बातचीत फिर से शुरू हो गई है। यह वार्ता तब हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल खरीदने के लिए भारतीय निर्यात पर 50% का भारी शुल्क लगाया था। ट्रंप के इस कदम से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध तनावपूर्ण हो गए थे।
ट्रंप के रुख में नरमी और वार्ता की वापसी
ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए कड़े टैरिफ और कई हफ्तों की आलोचना के बाद, वॉशिंगटन ने भारत के साथ संबंधों को सुधारने के प्रयास में अपने तेवरों में धीरे-धीरे नरमी दिखाई है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच इस वार्ता में अमेरिकी पक्ष का नेतृत्व कर रहे हैं, जबकि भारत की ओर से वाणिज्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी राजेश अग्रवाल बातचीत कर रहे हैं।
यह वार्ता एक संकेत है कि दोनों देश अपने व्यापार संबंधों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, ट्रंप के रुख में अस्थिरता को देखते हुए भारत के लिए यह एक चुनौती भी है, क्योंकि वह कभी भारत को दोस्त बताते हैं तो कभी उस पर भारी टैरिफ लगा देते हैं।
दोनों नेताओं ने जताई उम्मीद
हाल ही में, ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर आशावाद व्यक्त किया था, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गर्मजोशी से स्वागत किया था। पीएम मोदी ने कहा था कि यह वार्ता भारत-अमेरिका साझेदारी की “असीम संभावनाओं” को उजागर करने में मदद करेगी। ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने भी ऐसी ही उम्मीद जताई है।
यह वार्ता दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है, जो 27 अगस्त से लागू हुए टैरिफ के बाद अधर में लटक गया था। इससे पहले, दोनों देशों के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी थी, जबकि छठे दौर की वार्ता को टैरिफ विवाद के कारण टाल दिया गया था। अब इस बैठक से उम्मीद जगी है कि दोनों देश अपने व्यापारिक मतभेदों को सुलझाकर एक समझौते पर पहुंच सकेंगे।