नेपाल में हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन को लेकर कई लोगों को संदेह है कि इसके पीछे अमेरिका का हाथ है। द संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री केपी ओली को दो दिनों के भीतर इस्तीफा देना पड़ा और उनकी जगह एक अंतरिम सरकार का गठन हुआ। यह घटनाक्रम इतना नाटकीय था कि लोगों के मन में अमेरिका की भूमिका को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ और सीआईए की भूमिका
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका पर लगे हस्तक्षेप के ये आरोप निराधार नहीं हैं। ऐतिहासिक साक्ष्य और पूर्व में सार्वजनिक किए गए अमेरिकी रिकॉर्ड बताते हैं कि अमेरिका ने कई बार नेपाल को अपनी गुप्त लड़ाइयों के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया है।
- शीत युद्ध: शीत युद्ध के दौरान, अमेरिका ने चीन के खिलाफ अपनी रणनीतिक लड़ाइयों के लिए नेपाल का इस्तेमाल किया।
- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई: 2000 के दशक में, आतंकवाद के खिलाफ अपनी कथित लड़ाई में भी अमेरिका ने नेपाल का इस्तेमाल किया।
इन ऐतिहासिक घटनाओं के कारण, नेपालियों के मन में यह विश्वास गहरा हो गया है कि वर्तमान राजनीतिक अस्थिरता के पीछे भी वॉशिंगटन की मौन स्वीकृति या सीधा दखल हो सकता है। यह आरोप सीआईए (CIA) के इतिहास से भी जुड़ा हुआ है, जिससे नेपाल में अमेरिका विरोधी भावनाएं बढ़ी हैं।
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता
नेपाल में यह पहली बार नहीं है कि किसी चुनी हुई सरकार का तख्तापलट हुआ है। राजनीतिक अस्थिरता का यह पैटर्न कई बार देखने को मिला है। हालांकि, इस बार सेना के दखल से सुशीला कार्की के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार ने राजनीतिक हलकों में और अधिक सवाल खड़े कर दिए हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने नेपाल की संप्रभुता और राजनीतिक स्थिरता पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।